लोनी कालभोर, मार्च (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
किसान वास्तव में दुनिया के अन्नदाता हैं। यदि यह बलिराजा जीवित रहेगा, तो हम सभी जीवित रह सकेंगे। परंपरागत खेती को परिस्थिति के अनुसार नहीं बदलने के कारण किसान अब पिछड़ता जा रहा है। बेमौसम बारिश और फसल के नुकसान के कारण कर्ज में डूबकर बलिराजा ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया। इसलिए, अगर हम वास्तव में किसानों के लिए कुछ करना चाहते हैं, तो हमें पहले किसानों को समझना होगा। यह विचार हवेली प्रभाग के कृषि अधिकारी गणेश सुरवसे ने व्यक्त किये।

एमआईटी यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी के स्कूल ऑफ फूड टेक्नोलॉजी द्वारा आयोजित वाडेबोल्हाई ग्राम दत्तक योजना कार्यक्रम में वे बोल रहे थे। इस अवसर पर यहां स्कूल ऑफ फूड टेक्नोलॉजी की प्रिंसिपल डॉ. अंजलि भोईटे, वाडेबोल्हाई गांव की सार्वजनिक रूप से नियुक्त सरपंच श्रीमती वैशाली केसवड, उपसरपंच सुमित शिंदे, ग्रामसेवक संतोष भोसले, गतिविधि की आयोजिका डॉ. सुजाता घोडके, समन्वयक डॉ. गणेश भावसार, डॉ. निलेश कार्डिले एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

कृषि अधिकारी गणेश सुरवसे ने इस अवसर पर विद्यार्थियों सहित ग्रामीणों को भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी।

स्कूल ऑफ फूड टेक्नोलॉजी की प्रिंसिपल डॉ. अंजलि भोईटे ने किसानों के लिए स्कूल ऑफ फूड टेक्नोलॉजी द्वारा क्रियान्वित किए जा रहे अनुसंधान परियोजना के बारे में जानकारी दी। स्कूल ऑफ फूड टेक्नोलॉजी ने ग्राम दत्तक योजना और इस श्रमिक शिविर को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है, इसलिए पिछले चार वर्षों से लगातार गांव गोद लेने का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यह वर्ष अंतिम वर्ष है और इस गतिविधि के माध्यम से छात्र कई सार्वजनिक उपयोगिता गतिविधियाँ करके किसानों के साथ बातचीत करते हैं। इस आठ दिवसीय श्रम शिविर के माध्यम से हमारे छात्रों को कृषि को करीब से अनुभव करने का अवसर मिलता है।

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