हड़पसर, नवंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
हमारे समाज में कई साल पहले सती प्रथा हुआ करती थी। सती प्रथा में, जब किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती थी, तो उस महिला को भी पति की चिता में जिंदा जला दिया जाता था। महान समाज सुधारक राजा राम मोहन राय ने इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई व सती प्रथा को समाप्त किया। इसी तरह आज भी हमारे समाज में हमें लड़की नहीं, बल्कि लड़का चाहिए, इसी पुरानी और संकीर्ण सोच के कारण, लाखों लड़कियों को गर्भ में और जन्म के बाद भी भेदभाव करके मार दिया जाता है। इस अमानवीय सोच के खिलाफ डॉ. गणेश राख कई वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं और इसीलिए हमारा मानना है कि डॉ. गणेश राख भी महान समाज सुधारक राजा राम मोहन राय की तरह भारत और हमारे समाज के एक सच्चे समाज सुधारक हैं। यह भावना एवं विचार आज सोशल मीडिया पर नेटिज़न्स द्वारा व्यक्त की जा रही है।
डॉ. गणेश राख के इस अद्भुत कार्य के लिए सभी अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। हाल ही में गेट्स फाउंडेशन जैसी विश्व प्रसिद्ध संस्था ने बेटी बचाओ जन आंदोलन के जनक डॉ. गणेश राख की प्रशंसा की है। इसी आधार पर आज नेटिज़न्स उन्हें इस महान कार्य के लिए बधाई दे रहे हैं और उनके अभियान का समर्थन कर रहे हैं। उनकी लड़ाई केवल चिकित्सा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मानवता के मूल मूल्यों, महिलाओं के अस्तित्व और समाज में संतुलन के लिए एक सामाजिक क्रांति की यात्रा है।
सच्चे अर्थों में डॉ. गणेश राख एक आधुनिक समाज सुधारक और मानवता के सच्चे उपासक हैं। डॉ. गणेश राख को राजा राममोहन राय का आधुनिक अवतार कहा जा सकता है, जिस तरह राजा राममोहन राय ने 19वीं सदी में महिलाओं को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए सती जैसी अमानवीय प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी, उसी तरह आज डॉ. गणेश राख महिलाओं को जन्मसिद्ध अधिकार एवं समानता दिलाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। सामाजिक जागरूकता के माध्यम से नए भारत में महिला सशक्तिकरण की ज्योति जला रहे हैं।
