पूरे भारत में उत्तरदायी एआई अपनाने में तेजी लाने के लिए ‘कृषि और एसएमई के लिए एआई प्लेबुक’ और ‘एआई सैंडबॉक्स श्वेत पत्र’ लॉन्च

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रो. अजय कुमार सूद ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के चौथे औद्योगिक क्रांति केंद्र (सी4आईआर) इंडिया द्वारा संचालित “भारत के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता 2030” पहल के अंतर्गत तीन पुस्तिकाओं का विमोचन किया। इसकी घोषणा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव श्री एस. कृष्णन, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सचिव श्री एससीएल दास, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय (ओपीएसए) के वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी और कृषि मंत्रालय के सलाहकार (डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर) श्री अनिंद्य बनर्जी की उपस्थिति में की गई। इन तीन पुस्तिकाओं में शामिल हैं:

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ओपीएसए और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मार्गदर्शन में शुरू की गई और एक बहु-हितधारक सलाहकार परिषद द्वारा संचालित, एआई फॉर इंडिया 2030 पहल का उद्देश्य कार्यनीतिक और वैश्विक प्रासंगिकता के साथ संरचना का विकास करना है, जो भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के केंद्र में उत्तरदायी, समावेशी और परिमाण-आधारित एआई को रखता है।

पीएसए प्रो. सूद ने कहा, “भारत की एआई यात्रा जमीनी स्तर पर बदलाव से निर्धारित होती है। ये प्लेबुक समयोचित हैं और एआई को समावेशी तथा प्रभावशाली बनाने के लिए स्पष्ट कार्यनीतियां प्रदान करती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रौद्योगिकीय प्रगति हमारे किसानों, उद्यमियों और देश भर के समुदायों के लिए वास्तविक लाभ में परिवर्तित हो। मैं सभी हितधारकों से आग्रह करता हूं कि वे राष्ट्र के विकास के लिए इन क्रियाशील रोडमैप को लागू करने में सामूहिक रूप से काम करें। इन रिपोर्टों में परिलक्षित विभिन्न विभागों और पहलों का संयोजन निरंतर गति में परिवर्तित होना चाहिए और समाज में एआई को व्यापक रूप से अपनाने में मदद करनी चाहिए।”

ये प्लेबुक भारत के महत्वपूर्ण सेक्टरों में एआई समाधानों को लागू करने के लिए व्यावहारिक रोडमैप प्रदान करती हैं, जो व्यापक क्षेत्रीय परामर्शों, पायलट परियोजनाओं और सरकार, उद्योग, स्टार्ट-अप्स, शैक्षणिक संस्थानों और किसान संगठनों से प्राप्त इनपुट पर आधारित हैं। प्रत्येक पुस्तिका में एक सहयोगी मॉडल शामिल है जो सरकार, उद्योग और स्टार्ट-अप्स तथा सभी हितधारकों की भूमिकाओं को परिभाषित करता है। डब्ल्यूईएफ के सी4आईआर इंडिया के प्रमुख श्री पुरुषोत्तम कौशिक ने जारी किए गए प्रकाशनों का संक्षिप्त सारांश और कार्यप्रणाली प्रस्तुत की।

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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी सचिव श्री कृष्णन ने कहा, “वास्तविक सेक्टरों पर केंद्रित इन रिपोर्टों के साथ, हमारे पास एक बहुत अच्छा संकलन है, जो विभिन्न हितधारकों की भागीदारी से तैयार हुआ है और भावी परिदृश्य दिखाता है। यह प्लेबुक दर्शाती है कि कैसे एआई को इस परिवर्तन में सहजता से शामिल किया जा सकता है- जिससे नई दक्षताएं, बेहतर निर्णय लेने की क्षमता और प्रत्येक किसान के लिए अधिक समृद्धि संभव हो सकती है।”

“भारत में भविष्य की खेती” पुस्तिका लाखों किसानों के लिए एआई के विस्तार की रूपरेखा प्रस्तुत करती है, जिसका उद्देश्य उपज बढ़ाना, जोखिमों का प्रबंधन करना और बाज़ार पहुँच में सुधार करना है। इसका मूल इम्पैक्ट एआई ढांचा है, जो सहयोग का मार्गदर्शन करता है जहां सरकारें नीतियों के माध्यम से सक्षम बनाती हैं, उद्योग सैंडबॉक्स के माध्यम से समाधान तैयार करते हैं और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता किसानों को टूल्स प्रदान करते हैं। कार्यान्वयन विश्वसनीय स्थानीय नेटवर्क और क्षेत्रीय भाषाओं का लाभ उठाता है ताकि एआई परामर्श को दैनिक कृषि निर्णयों में सहजता से एकीकृत किया जा सके।

“छोटे व्यवसायों का रूपांतरण” प्लेबुक भारत के लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) को उत्पादकता,  ऋण पहुंच और बाज़ार पहुंच में आने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप प्रदान करती है, जिसके जरिए वे एआई का लोकतंत्रीकरण कर सकते हैं। इम्पैक्ट एआई ढांचा भी इस दृष्टिकोण का केंद्रबिंदु है, जो व्यवसायों को जागरूकता से लेकर अनुभव केंद्रों और सैंडबॉक्स के माध्यम से एआई परिपक्वता सूचकांक, एआई बाजार, टूल्स और वित्तपोषण के साथ कार्रवाई तक मार्गदर्शन प्रदान करता है और इस सेक्टर के अग्रिम व्यक्तियों द्वारा मान्यता प्राप्त करता है। इस क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण का उद्देश्य लघु व्यवसाय इको-सिस्टम में व्यापक और ठोस एआर्ई अपनाने को बढ़ावा देना है।

एमएसएमई सचिव श्री दास ने कहा, “एमएसएमई पर ध्यान समयोचित और कार्यनीतिक दोनों है। इन सेक्टरों में एआई के उपयोग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इन प्रकाशनों के बाद हम उद्योग भागीदारों और स्टार्टअप्स के साथ मिलकर इन विचारों को वास्तविक दुनिया में लागू करने के लिए तत्पर हैं, जिससे हमारे छोटे व्यवसायों को सीधे लाभ होगा।”

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ओपीएसए के वैज्ञानिक सचिव डॉ. मैनी ने रेखांकित करते हुए कहा कि ओपीएसए के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) क्लस्टर इन रिपोर्टों में उल्लिखित कार्यान्वयन रोडमैप को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अपने विद्यमान इको-सिस्टम का लाभ उठाते हुए, ये क्लस्टर क्षमता निर्माण और ज्ञान प्रसार में, विशेष रूप से शुरुआती चरणों में, सहयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, दिसंबर 2025 में कार्यालय द्वारा आयोजित किया जा रहा आगामी अंतर्राष्ट्रीय एस एंड टी क्लस्टर सम्मेलन इस क्षेत्र में संयोजन और सहयोग को और बढ़ावा देने के लिए एआई पर एक समर्पित फोकस को एकीकृत कर सकता है।

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श्री बनर्जी ने कहा, “कृषि में बदलाव लाने में एआई की क्षमता को व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है। हम कृषि में विभिन्न एआई अनुप्रयोगों की खोज कर रहे हैं, जिसमें डिजिटल फसल सर्वेक्षण भी शामिल है। यहां सटीकता और अंतर्दृष्टि बढ़ाने के लिए इमेजिंग और डेटा को एआई के माध्यम से एकीकृत किया जा सकता है।”

एआई सैंडबॉक्स श्वेत पत्र एआई का परीक्षण और मापन करने के लिए नियंत्रित वातावरण स्थापित करने हेतु कार्यनीतिक और परिचालन ढांचे को प्रस्तुत करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि समाधान सुरक्षित, विश्वसनीय और भारत की प्राथमिकताओं के अनुरूप हों।

आगे की रूपरेखा समन्वित कार्रवाई और मापनीय प्रभाव पर केंद्रित है। राज्य सरकारें, उद्योग निकाय, प्रौद्योगिकी प्रदाता और वित्तपोषक मिलकर कार्यान्वयन गठबंधन बनाएंगे जो कृषि और प्रमुख लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) समूहों में कार्यान्वयन संबंधी अंतर्दृष्टि को वित्त पोषित परियोजनाओं में परिवर्तित करेंगे। एक एकीकृत निगरानी ढांचा, सेक्टर-विशिष्ट संकेतकों जैसे कि एआई को अपनाना, उत्पादकता में वृद्धि, लागत में कमी, बेहतर ऋण पहुंच और बेहतर बाज़ार प्राप्ति के माध्यम से प्रगति पर निगरानी रखेगा। इसके अतिरिक्त, एक समर्पित ज्ञान मंच सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों और सफलता गाथाओं का दस्तावेजीकरण और साझाकरण करेगा, जिससे भारत के एआई इको-सिस्टम में निरंतर सीखने और प्रभावी समाधानों के विस्तार को सक्षम बनाया जा सकेगा।

 

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