जगदीशब्द द्वारा आयोजित ‘चळवळीच्या कविता’ कवि सम्मेलन उत्साहपूर्वक संपन्न
हड़पसर, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
‘जग बदलणारा बापमाणूस’ पुस्तक के लेखक व सुप्रसिद्ध व्याख्याता जगदीश ओहोल की संकल्पना पर आधारित जगदीशब्द फाउंडेशन के माध्यम से रविवार को के. पी. पैरामेडिकल कॉलेज, हड़पसर के सभागार में ‘चळवळीच्या कविता’ शीर्षक से एक काव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया।

उक्त काव्य सम्मेलन का उद्घाटन के.पी. पैरामेडिकल कॉलेज के संस्थापक प्रो. एडवोकेट कृपाल पलुस्कर ने किया, जबकि अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता एवं उद्यमी दिलीप लगड़ और लेखक एवं वक्ता जगदीश ओहोल ने की।
झेंडे झाले लाख आणि वेगळं झालं रक्त,
प्रत्येकाच्या मागे उभे शस्त्रधारी भक्त..
माणसात कुठं माणुसकी भेटेना..
का रं माणसा तुला ही जात सुटेना..
ऐसे समाज की वास्तविकता को चित्रित करते हुए विषय-वस्तु और गुणवत्ता से भरपूर प्रत्येक कविता ने श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया।
इस काव्य सम्मेलन में प्रा. शिवाजी गायकवाड, कवयित्री उमा लुकडे, प्रा. गौरव नेवसे, कविता काले, कांचन मून, मच्छिन्द्र रत्नाकर झुरंगे, सुनीता अरुण घोडके, शुभांगी शिंदे, रघुनाथ कांबले, अरुण किसन घोडके आदि कवियों ने भाग लिया और अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया।
उपस्थित सभी कवियों को प्रशस्तिपत्र और पुष्प देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का बहारदार सूत्र-संचालन कवि तानाजी शिंदे (उदगीर) ने किया।
काव्य सम्मेलन को सफल बनाने के लिए के.पी. पैरामेडिकल संस्था के छात्रों ने कड़ी मेहनत की।