स्वदेशी मवेशियों के संरक्षण को बढ़ावा; गायों के पोषण के लिए अनुदान योजना
राज्य सरकार ने देशी गायों की कम उत्पादन क्षमता के कारण उनके पालन की आर्थिक व्यवहार्यता का परीक्षण करके गौशालाओं को और अधिक सशक्त बनाने तथा देशी गायों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय लागू करने हेतु वर्ष 2024-25 से यह अनुदान योजना शुरू की है। वर्तमान में, राज्य में 967 पंजीकृत गौशालाएँ हैं। इन गौशालाओं के लिए अनुदान हेतु आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं और पात्र गौशालाओं को अनुदान वितरित किया जाता है।
-डॉ. मंजूषा पुंडलिक, पशुपालन संयुक्त आयुक्त तथा सदस्य सचिव, महाराष्ट्र गोसेवा आयोग
राज्य में महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 1995 के अनुसार, सभी गौजातीय पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। परिणामस्वरूप, कृषि और दूध के लिए अनुत्पादक गौजातीय पशुओं की संख्या बढ़ रही है। इन सभी पशुओं के पालन-पोषण और संवर्धन हेतु पंजीकृत गौशालाओं में देशी मवेशियों के संरक्षण और संवर्धन हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना को 30 सितंबर 2024 को मंजूरी दी गई है।
इस योजना के बारे में…
राज्य में 4 मार्च 2015 से महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 1995 लागू हो गया है। इस अधिनियम के अनुसार, सभी गोजातीय पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अतः कृषि, पशुपालन और प्रजनन के लिए अनुपयुक्त गौजातीय सांडों और बैलों के वध पर प्रतिबंध लगा दिया गया है इसलिए, इनके संरक्षण के लिए उपाय आवश्यक थे। इसी के तहत, राज्य सरकार ने पंजीकृत गौशालाओं में रखी जाने वाली देशी गायों को प्रतिदिन 50 रुपये का अनुदान देने की योजना शुरू की है।
इस अनुदान के लिए महाराष्ट्र गोसेवा आयोग में पंजीकृत गौशालाएँ, गोसदन, गोपालक और गोरक्षक संगठन पात्र होंगे। इसके लिए, गोशाला के पास कम से कम तीन वर्ष का अनुभव और कम से कम 50 गायें होनी चाहिए। मवेशियों के कानों पर टैग लगाना अनिवार्य है और केवल यही प्रक्रिया अनुदान के लिए पात्रता सिद्ध करेगी।
संबंधित संगठन का किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता होना आवश्यक है। यह योजना महाराष्ट्र गोसेवा आयोग द्वारा क्रियान्वित की जा रही है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इस योजना के तहत अनुदान प्राप्त करने के लिए संस्थाओं को पिछले तीन वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
बांझ या अनुत्पादक गायों का पालन-पोषण करना पशुपालकों के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है, इसलिए ऐसे पशुओं को गौशालाओं में रखना आवश्यक है। इस योजना का उद्देश्य गौशालाओं की आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना और देशी मवेशियों के संरक्षण में सहायता करना है। इससे गौशालाओं को वित्तीय सहायता मिलेगी। इस निर्णय से पशुपालकों को लाभ होगा और गौशालाओं की वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी। प्रत्येक जिले में जिला पशुपालन उपायुक्त की अध्यक्षता में ‘जिला गौशाला सत्यापन समितियां’ गठित की गई हैं।
गौशालाओं को अनुदान प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से संबंधित संस्था के बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाता है। दूसरी किस्त के अंतर्गत देय अनुदान वितरित करने से पूर्व, संस्था को पहली किस्त में दिया गया अनुदान का उपयोगिता प्रमाणपत्र संबंधित जिला पशुपालन उपायुक्त द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
संस्था में पाले जा रहे पशुओं का भारत पशुधन प्रणाली पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। साथ ही सभी पशुओं का टैगवार पृथक रजिस्टर रखना भी अनिवार्य होगा।
संबंधित गौशालाओं ने निकट समय में प्रथम प्राथमिकता के आधार पर स्थायी चारा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चारा उत्पादन, चारा प्रसंस्करण, मूर घास निर्माण इस संबंध में कार्रवाई की आवश्यकता होगी। गौशाला पंजीकरण एवं योजना की विस्तृत जानकारी https://www.mahagosevaayog.org/ उपलब्ध है।
प्राप्त कुल 739 आवेदनों में से 731 आवेदन पात्र पाए गए हैं। पात्र आवेदनों में देशी गायों की संख्या 87 हजार 549 है। जिला समिति द्वारा सत्यापन के बाद पात्र गौशालाओं को अनुदान वितरित किया जाएगा।
संकलन : विभागीय सूचना कार्यालय, पुणे