हड़पसर में अंतर्राष्ट्रीय कायरोप्रैक्टिक उपचार केंद्र का शुभारंभ : भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय मानक उपचार केंद्र : विजय मोरे

हड़पसर में अंतर्राष्ट्रीय कायरोप्रैक्टिक उपचार केंद्र का शुभारंभ : भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय मानक उपचार केंद्र : विजय मोरे
हड़पसर, जुलाई (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
हड़पसर में अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित एक कायरोप्रैक्टिक उपचार केंद्र, उन्मेष मर्मवेद वेलनेस, शुरू किया गया है जो रीढ़ संबंधी विकारों को बिना किसी दवा, इंजेक्शन या शल्यक्रिया के जड़ से खत्म कर देता है। इसके निदेशक विजय मोरे ने दावा किया कि यह भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय स्तर का कायरोप्रैक्टिक उपचार केंद्र है।
इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए विजय मोरे ने बताया कि पारंपरिक उपचार केवल दर्द को रोकने का प्रयास करते हैं, लेकिन यह उपचार उस दर्द के मूल कारण का पता लगाता है और अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से उसका उपचार करता है। यह अवधारणा शरीर की आत्म-जागरूकता और प्राकृतिक उपचार क्षमता पर आधारित है। क्लीनिक की सुसज्जित प्रयोगशालाओं और विश्वस्तरीय प्रशिक्षित डॉक्टरों के मार्गदर्शन के कारण मरीज़ प्रभावी उपचार पद्धतियों से लाभान्वित हो रहे हैं।
हड्डियों, जोड़ों, रीढ़ की हड्डी, गर्दन की चोटों, घुटनों के दर्द और पुरानी मांसपेशियों की बीमारियों के इलाज में बिना किसी दवा या सर्जरी के उपलब्ध कराया जानेवाला यह उपचार एक क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। जब शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है, तो तंत्रिका तंत्र धीमा पड़ जाता है और दर्द शुरू हो जाता है। कायरोप्रैक्टिक थेरेपी उस संतुलन को बहाल करती है और शरीर की अपनी शक्ति काम करना शुरू कर देती है।
अंत में उन्होंने कहा कि यह क्लीनिक अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है। इसका उद्देश्य केवल बीमारियों का इलाज करना नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति संपूर्ण दृष्टिकोण को बदलना है।
मरीजों का इलाज करते समय डॉक्टर न केवल उनकी शिकायतों को देखते हैं, बल्कि उनकी शारीरिक आदतों, गतिविधियों और मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर भी विचार करते हैं। इस उपचार पद्धति के सिद्धांत के अनुसार, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने के लिए दवा उपचार की तुलना में अधिक प्रभावी है और इसका विकास करना आवश्यक है। इस उपचार पद्धति ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई क्रांति के बीज बो दिए हैं।