बढ़ी हुई अधिक लंबी दूरी के पनडुब्बी रोधी रॉकेट का उपयोगकर्ता परीक्षण आईएनएस कवरत्ती से सफलतापूर्वक किया गया

बढ़ी हुई अधिक लंबी दूरी के पनडुब्बी रोधी रॉकेट का उपयोगकर्ता परीक्षण आईएनएस कवरत्ती से सफलतापूर्वक किया गया
बढ़ी हुई अधिक लंबी दूरी के पनडुब्बी रोधी रॉकेट (ईआरएएसआर) के उपयोगकर्ता परीक्षण 23 जून, 2025 से 07 जुलाई, 2025 तक आईएनएस कवरत्ती से सफलतापूर्वक किए गए। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के पुणे स्थित आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) ने उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला तथा नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला के सहयोग से भारतीय नौसेना के जहाजों के स्वदेशी रॉकेट लांचर (आईआरएल) के लिए ईआरएएसआर का डिजाइन तथा विकास किया है।
ईआरएएसआर एक पूर्णतया स्वदेशी पनडुब्बी रोधी रॉकेट है, जिसका उपयोग पनडुब्बियों से लड़ने के लिए किया जाता है और इसे भारतीय नौसेना के जहाजों के आई.आर.एल. से दागा जाता है। इसमें उच्च सटीकता और स्थिरता के साथ अधिक दूरी तक लक्ष्य को मार गिराने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दो-रॉकेट मोटर विन्यास है। ईआरएएसआर में स्वदेशी रूप से विकसित इलेक्ट्रॉनिक टाइम फ्यूज का उपयोग किया गया है।
इस दौरान कुल 17 ईआरएएसआर का विभिन्न श्रेणियों में सफलतापूर्वक परीक्षण मूल्यांकन किया गया। परीक्षणों के लिए निर्धारित सभी निर्दिष्ट लक्ष्यों जैसे रेंज प्रदर्शन, इलेक्ट्रॉनिक टाइम फ्यूज कार्यप्रणाली और वारहेड कार्यप्रणाली का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया।
भारत डायनामिक्स लिमिटेड, हैदराबाद और सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड, नागपुर ईआरएएसआर रॉकेट के उत्पादन साझेदार हैं। उपयोगकर्ता परीक्षणों के सफल समापन के बाद अब भारतीय नौसेना द्वारा शीघ्र ही ईआरएएसआर प्रणाली को शामिल किये जाने की आशा है।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस प्रणाली के विकास एवं परीक्षण में शामिल डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और रक्षा उद्योग जगत को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली के भारतीय नौसेना में शामिल होने से इसकी मारक क्षमता में बढ़ोतरी होगी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी ईआरएएसआर के डिजाइन तथा विकास में शामिल टीमों की सराहना की।