‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ में भाकृअनुप के सभी संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों की सक्रिय भागीदारी : डॉ. कौशिक बैनर्जी

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ में भाकृअनुप के सभी संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों की सक्रिय भागीदारी : डॉ. कौशिक बैनर्जी
राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र, मांजरी फार्म, पुणे द्वारा ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की पत्रकार वार्ता में दी गई जानकारी
मांजरी, जून (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
विकसित कृषि संकल्प अभियान एक दूरदर्शी पहल है, जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को साकार करना है, जो हमारी स्वतंत्रता की शताब्दी से भी मेल खाता है। यह अभियान 29 मई 2025 को पुरी (ओडिशा) से केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रारंभ किया गया था और यह 12 जून 2025 को खरीफ पूर्व कार्यक्रम के तहत संपन्न होगा।
यह जानकारी राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र, मांजरी फार्म, पुणे के संचालक डॉ. कौशिक बैनर्जी द्वारा एक प्रेस वार्ता में दी गई। इस अवसर पर राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अजय शर्मा और प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सुजॉय सहा उपस्थित थे।
डॉ. बैनर्जी ने बताया कि इस अभियान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) की केंद्रीय भूमिका रही है, जिसमें भाकृअनुप के सभी संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों की सक्रिय भागीदारी रही है।
उन्होंने बताया कि भाकृअनुप-राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र (एनआरसीजी) के वैज्ञानिक अभियान के प्रारंभ से ही क्षेत्र में सक्रिय है। एनआरसीजी के वैज्ञानिकों की टीमें नरायणगांव, नाशिक-1 एवं 2 और धुले जैसे कृषि विज्ञान केंद्रों में कार्यरत रही हैं। इन टीमों ने महाराष्ट्र के तीन जिलों के 286 गांवों में भ्रमण किया और लगभग 44,500 किसानों से प्रत्यक्ष संवाद किया। इसके अतिरिक्त, एनआरसीजी के तीन वैज्ञानिकों की एक टीम ने 6 जून 2025 को पिंपलगांव बसवंत, नाशिक में लगभग 550 अंगूर उत्पादक किसानों की एक सभा को संबोधित किया।
क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान वैज्ञानिकों ने मक्का, कपास, सोयाबीन, गन्ना, प्याज, धान, अंगूर, आम तथा अन्य फलों और सब्जियों से संबंधित फसल-विशिष्ट समस्याओं पर चर्चा की।
प्रमुख विषयों में शामिल थे ः
-बीज उपचार एवं गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता।
-मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन।
-प्राकृतिक खेती
-छत्र प्रबंधन (कैनोपी) एवं पोषण प्रबंधन।
-जैविक उपायों सहित समन्वित कीट एवं रोग प्रबंधन (आईपीएम)।
-पीजीआर का अनुप्रयोग का अनुप्रयोग।
-पशुपालन प्रबंधन।
-केंद्र और राज्य सरकार की कृषि योजनाओं की जानकारी।
इसके अलावा, पोषण प्रबंधन में सटीकता लाने के लिए ड्रोन छिड़काव एवं मृदा नमी संवेदक के उपयोग पर लाइव प्रदर्शन भी किए गए।
डॉ. कौशिक बैनर्जी ने बताया कि हम किसानों की, विशेष रूप से महिला किसानों की, उत्साही भागीदारी की सराहना करते हैं, जिन्होंने बीज की कीमतों में मित्रता, गुणवत्तापूर्ण इनपुट की उपलब्धता, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और फसल बीमा जैसी चुनौतियों पर अपने अनुभव साझा किए।
उन्होंने कहा कि मैं मीडिया का भी हार्दिक धन्यवाद करता हूं, जिनके निरंतर सहयोग और कवरेज से हमारी गतिविधियों को व्यापक मंच मिला। साथ ही, अपने साथी वैज्ञानिकों और केवीके स्टाफ का विशेष आभार, जिनकी समर्पित मेहनत से यह अभियान सफलतापूर्वक चल पाया।
जय हिंद।
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