सरकार समर्थित शीर्ष अनुसंधान संस्थान और परोपकारी निजी प्रतिष्ठान के बीच अनूठा सहयोग
सरकार समर्थित शीर्ष अनुसंधान संस्थान और परोपकारी निजी प्रतिष्ठान के बीच अनूठा सहयोग
भारत के अनुसंधान संबंधी इको-सिस्टम में तेजी से परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, “अनुसंधान राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन” (एएनआरएफ) और “वाधवानी फाउंडेशन” ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में यहां भारत मंडपम में आयोजित “इनोवेशन कॉन्क्लेव” “युग्म” में एक ऐतिहासिक “आशय पत्र” का आदान-प्रदान किया।
यह साझेदारी सरकार समर्थित शीर्ष अनुसंधान संस्थान और एक परोपकारी निजी फाउंडेशन के बीच अपनी तरह का पहला सहयोग है। इसका उद्देश्य ऐसे अनुसंधान को सह-वित्तपोषित करना और उसका विस्तार करना है, जो ठोस सामाजिक प्रभाव उत्पन्न कर सके। यह समझौता राष्ट्रीय महत्व के प्रमुख क्षेत्रों में व्यापक सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की एएनआरएफ की रणनीति में पहला कदम भी है।
भारत के विज्ञान और नवाचार परिवर्तन में अग्रणी डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहल सरकार के उस संकल्प को दर्शाती है, जिसके तहत वह एक ऐसा सक्षम वातावरण तैयार करना चाहता है, जहां अनुसंधान अकादमिक सीमाओं से परे जाकर ज़मीनी स्तर तक पहुंचे। उन्होंने कहा, “यह सरकार, उद्योग और परोपकार के बीच तालमेल को संस्थागत बनाने की दिशा में एक कदम है।” उन्होंने ऐसे सहयोगी मॉडल की आवश्यकता पर जोर दिया, जो फंडिंग और परिणामों दोनों को आगे बढ़ाए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत स्थापित एएनआरएफ की परिकल्पना अनुसंधान को लोकतांत्रिक बनाने, नवाचार को उत्प्रेरित करने और शिक्षा, नीति एवं उद्योग के बीच लंबे समय से चली आ रही खाई को पाटने के लिए एक परिवर्तनकारी संगठन के रूप में की गई थी। इस नई साझेदारी के साथ, एएनआरएफ का लक्ष्य न केवल अत्याधुनिक विज्ञान को धन प्रदान करना है, बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक चुनौतियों के साथ तालमेल बिठाते हुए अनुसंधान को मापनयोग्य, प्रभावशाली समाधानों में बदलना भी है।

वाधवानी फाउंडेशन की भागीदारी से उद्यमिता और नवाचार से प्रेरित विकास को बढ़ावा देने में खासकर युवाओं और स्टार्ट-अप के बीच अनुभव का लाभ मिलता है। साथ मिलकर, दोनों संस्थाएं अंतिम चरण के रुपांतरण संबंधी अनुसंधान की व्यापकता और प्रभाव को बढ़ाने के लिए काम करेंगी। इनमें ऐसी परियोजनाएं शामिल हैं, जो अक्सर समसामयिक दुनिया के परिणाम देने के सबसे करीब होती हैं, किंतु वित्तपोषण की कमी का सामना करती हैं।
यह सहयोग इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि आने वाले समय में भारत में अनुसंधान को किस तरह वित्तपोषित और वितरित किया जाए। इसमें समावेशिता, अंतःविषय और जमीनी स्तर पर पहुंच पर जोर दिया जाएगा। एएनआरएफ के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप, इस साझेदारी का उद्देश्य देश भर में संसाधनों और अवसरों तक समान पहुंच को बढ़ावा देना है। इसमें टियर-2 और टियर-3 संस्थान शामिल हैं, जिससे अधिक वितरित और अनुसंधान की एक सशक्त संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
कॉन्क्लेव में की गई घोषणा ने भारतीय नवाचार नीति में एक नए युग की शुरुआत की, जो सरकार, शिक्षा और उद्योग के विचारकों को एक साथ लाने के लिए डिजाइन किया गया एक मंच है। भारत एक वैश्विक अनुसंधान केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। इस साझेदारी से छोटे-छोटे अनेक प्रयासों से ध्यान हटाकर परिणाम-उन्मुख, सहयोगी विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
यह कदम ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की प्रगति को मजबूत करता है। इसके तहत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का “आत्मनिर्भर भारत” का विजन न केवल आत्मनिर्भरता पर आधारित है, बल्कि वैज्ञानिक उत्कृष्टता और सामाजिक हित पर भी केंद्रित है।
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