सरकारी और निजी संस्थानों से महिला यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम के तहत समिति बनाने की अपील

सरकारी और निजी संस्थानों से महिला यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम के तहत समिति बनाने की अपील

सरकारी और निजी संस्थानों से महिला यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम के तहत समिति बनाने की अपील

सरकारी और निजी संस्थानों से महिला यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम के तहत समिति बनाने की अपील

पुणे, जनवरी (जिमाका)
दस या दस से अधिक कर्मचारी कार्यरत वाले सरकारी व निजी संस्था के स्थान पर नौकरीपेशा, व्यवसाय करनेवाली महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए शिकायत की जांच करने और उत्पीड़न करने वाले को दंडित करने के लिए एक आंतरिक शिकायत निवारण समिति का गठन करना अनिवार्य है। यह जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी कार्यालय ने सूचित किया है।

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार सभी सरकारी कार्यालयों, स्थानीय प्राधिकरण कार्यालयों, निजी कार्यालयों में जहां दस या अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं ऐसी संस्थानों, संघटना, मंडल, कंपनियों, कारखानों, अस्पतालों, स्कूलों, महाविद्यालय, होटल, दुकानों, बैंकों आदि के कार्यस्थलों के प्रमुख, कार्यस्थान के मालिकों द्वारा आवश्यक समिति गठित करने की कार्यवाही की जाये। सुप्रीम कोर्ट ने भी आंतरिक शिकायत समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है। समिति गठित नहीं करनेवाले कार्यालय प्रमुखों, मालिकों पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का कानून में प्रावधान है।

सरकारी, निजी कार्यालयों में आंतरिक शिकायत निवारण समिति का गठन किया जाना चाहिए और वार्षिक रिपोर्ट 2024 जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, 29/2, गुलमर्ग पार्क को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी, तीसरी मंजिल, जाधव बेकर्स के पास, सोमवार पेठ, पुणे-411011 और साथ ही श्रर्लिीपश2021ऽसारळश्र.लेा ई-मेल पर 22 जनवरी तक प्रस्तुत किया जाए। मासिक एवं त्रैमासिक रिपोर्ट भी नियमित रूप से प्रस्तुत की जानी चाहिए। यह अपील जिला महिला व बालविकास अधिकारी मनिषा बिरारीस ने की है।

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