एमआईटी-एडीटी विश्वविद्यालय में पूर्व छात्र सम्मेलन का आयोजन
एमआईटी-एडीटी विश्वविद्यालय में पूर्व छात्र सम्मेलन का आयोजन
लोनी कालभोर, (जनवरी हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
एमआईटी-एडीटी विश्वविद्यालय में नववर्ष की शुरुआत एकजुटता और उद्देश्यपूर्ण ऊर्जा के साथ हुई, जब पूर्व छात्र सम्मेलन 2025 में 100 से अधिक पूर्व छात्र अपनी मातृसंस्था में लौटे। एमआईटी-एडीटी विश्वविद्यालय एलुमनाई एसोसिएशन (एमएए) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का केंद्र बिंदु विकसित भारत 2047 का विज़न रहा। इस अवसर पर पूर्व छात्रों ने राष्ट्र निर्माण में सक्रिय योगदान देने का संकल्प लिया।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में कई गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की, जिनमें प्रो. डॉ. सुनीता कराड (कार्यकारी निदेशक), डॉ. महेश चोपड़े (रजिस्ट्रार), डॉ. रामचंद्र पुजेरी (उप-कुलपति), डॉ. मोहित दुबे ( उप-कुलपति), डॉ. वीरेन्द्र वी. शेटे (निदेशक, एमआईटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग), प्रो. हर्षित देसाई, डॉ. संकेत बापट, डॉ. संदीप गायकवाड़ और डॉ. रीना पगारे शामिल थे। इनकी उपस्थिति ने इस प्रेरणादायक आयोजन को और भी विशेष बना दिया।
एमआईटी-एडीटी विश्वविद्यालय एलुमनाई एसोसिएशन (एमएए) के प्रमुख डॉ. सूरज भोयर ने सभी पूर्व छात्रों का स्वागत करते हुए कहा, एमआईटी-एडीटी विश्वविद्यालय के गौरवशाली प्रतिनिधि होने के नाते, हमारे पूर्व छात्र हमारी संस्था की धरोहर और प्रगति की रीढ़ हैं। इस नववर्ष में, जब आप 2047 तक एक विकसित भारत के विज़न में योगदान देने का संकल्प लेते हैं, याद रखें कि आपके विचार, नवाचार और कर्म सार्थक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कार्यरत पूर्व छात्रों ने विश्वविद्यालय के प्रति अपनी भावनाओं को साझा किया और बताया कि एमआईटी-एडीटी ने उनकी सफलता की नींव कैसे रखी। कई पूर्व छात्रों ने विकसित भारत मिशन के तहत सामाजिक विकास और नवाचार के लिए योजनाएं प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. डॉ. सुनीता कराड ने कहा, हमारे पूर्व छात्र एमआईटी-एडीटी विश्वविद्यालय के मुख्य मूल्यों का प्रतीक हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं। उनकी उपलब्धियां यह सुनिश्चित करती हैं कि हमारा विश्वविद्यालय ऐसे नेता तैयार कर रहा है जो बदलाव लाने वाले और राष्ट्र के विकास में योगदान देने वाले हैं।
इस आयोजन में छात्रों और पूर्व छात्रों के बीच गहन संवाद हुआ, जिसने भविष्य में प्रभावी परियोजनाओं के लिए सहयोग का मार्ग प्रशस्त किया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण वह क्षण था जब सभी पूर्व छात्रों ने राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण की शपथ ली और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के अपने सामूहिक संकल्प को दोहराया।
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