01/07/2025

अपराध और आपराधिक मामले को रद्द करने का मुंबई उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दिया आदेश!

Bombay High Court1

अपराध और आपराधिक मामले को रद्द करने का मुंबई उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दिया आदेश!

पुणे, अक्टूबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
पुणे के चतु:श्रृंगी पुलिस स्टेशन में सेनापति बापट रोड पर दुर्घटना के संबंध में भादंवि की धारा 279, 338 और धारा 184 के तहत मोटर वाहन अधिनियम के तहत दर्ज मामले और आपराधिक मामले को रद्द करने का आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की खंडपीठ के न्यायमूर्ति श्री सारंग कोतवाल व न्यायमूर्ति डॉ. निला गोखले ने दिए हैं।

दिनांक 18 मई 2024 और 19 मई 2024 की मध्यरात्रि वादी अपने दोपहिया वाहन से सेनापति बापट रोड से मध्यरात्रि 1.15 बजे के लगभग अपने घर जा रहे थे। जब वादी सेनापति बापट रास्ते पर दाहिनी ओर मुड़ रहे थे तो एक अन्य मोटरसाइकिल सवार यानी आरोपी ने वादी की दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी, जिससे वादी सड़क पर गिर गए। उसमें वादी के बायें पैर की हड्डी टूट गयी तथा बायीं ओर की पसलियाँ टूट गयीं तथा वादी गम्भीर रूप से घायल हो गए। वादी की गाड़ी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। दुर्घटना के बाद वादी ने चतुश्रृंगी थाने में आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी।

वादी की शिकायत पर चतुश्रृंगी थाने में आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इस बीच, चतु:श्रृंगी पुलिस ने गहन जांच करके पुणे की अदालत में आरोपी वृषाण खोसला उम्र-22 नि. पुणे के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। आरोपी के खिलाफ आपराधिक मामला पुणे की आपराधिक अदालत में सुनवाई के लिए लंबित था।

इस बीच, मूल वादी और आरोपी के बीच अदालत के बाहर समझौता हो गया, इसलिए आपराधिक मामले के गुण-दोष सुने बिना, गवाहों की गवाही दर्ज किए बिना चतु:श्रृंगी पुलिस स्टेशन में दायर मामला और पुणे न्यायालय में लंबित आपराधिक मामले को सुनवाई शुरू होने से पहले रद्द किया जाना चाहिए, ऐसी याचिका एडवोकेट हर्षवर्धन एम. पवार, एडवोकेट आकांशा जगदाले व एडवोकेट साहिल राठोड, एडवोकेट निखिल कुलकर्णी की ओर से दायर की थी।

यदि ऐसे अपराधों या मामलों में वादी और आरोपी के बीच अदालत के बाहर समझौता होता है, तो अपराध और आपराधिक मामले को रद्द करने का अधिकार दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत केवल उच्च न्यायालय के पास है।

एडवोकेट हर्षवर्धन पवार और एडवोकेट निखिल कुलकर्णी ने मुंबई उच्च न्यायालय के खंडपीठ के सामने दलील दी कि आरोपी की उम्र 22 साल है। मुख्य वादी ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि अपराध और मामला रद्द करने में कोई आपत्ति नहीं है। आरोपी युवा है और उसका जीवन मामले और अपराध से प्रभावित हो सकता है। वादी को भी कोई शिकायत नहीं है, इसलिए चतु:श्रृंगी पुलिस स्टेशन के तहत दर्ज मामला और आरोपी के खिलाफ पुणे के आपराधिक न्यायालय में आरोपी के खिलाफ दायर आपराधिक मामला रद्द किया जाना चाहिए और आरोपी को बरी किया जाना चाहिए। ऐसा युक्तिवाद एडवोकेट पवार और एडवोकेट कुलकर्णी ने मुंबई उच्च न्यायालय में किया।

एडवोकेट पवार और एडवोकेट कुलकर्णी का युक्तिवाद ग्राह्य मानते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आरोपी की कम उम्र को देखते हुए और अब वादी को आरोपी से कोई शिकायत नहीं है, ऐसे अवलोकनों को दर्ज करके आरोपियों के खिलाफ चतु:श्रृंगी पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले और पुणे न्यायालय में लंबित आपराधिक मामले को रद्द करने का आदेश मुंबई उच्च न्यायालय के खंडपीठ के न्यायमूर्ति श्री गौतम कोतवाल व न्यायमूर्ति डॉ. निला गोखले ने दिए हैं।

कृपया आदेश यहां देखें ordjud-1

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