01/08/2025

दोबारा नहीं होंगे रतन टाटा! द्रष्टा, दानी, दयालु, सहृदय, देशभक्त हमने खो दिया : प्राचार्य डॉ. संजय चौधरी

IMG-20241010-WA0009

दोबारा नहीं होंगे रतन टाटा! द्रष्टा, दानी, दयालु, सहृदय, देशभक्त हमने खो दिया : प्राचार्य डॉ. संजय चौधरी

कोंढवा, अक्टूबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
केजेईआई ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ फार्मेसी की ओर से पद्म विभूषण श्री रतन टाटा के दुखद निधन पर केजेईआई के अध्यक्ष कल्याण जाधव, कार्यकारी निदेशक समीर कल्ला, केजेईआई के प्राचार्य डॉ.संजय चौधरी के साथ सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों तथा विद्यार्थियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

टाटा समूह को दुनिया भर में विस्तारित करनेवाले, उद्योग को व्यवसायिकता के बजाय जिम्मेदारी माननेवाले, भारत माता के प्रति समर्पित, सर्वश्रेष्ठ उद्यमी, भारतरत्न को सार्थक बनानेवाले वैकुण्ठ के रतन टाटा को विनम्र श्रद्धांजलि।

टाटा ग्रुप को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचानेवाले रतन नवल टाटा ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। देश के अग्रणी उद्यमी व भारतीय उद्यमियों के लिए प्रेरणास्रोत रतन टाटा ने नेतृत्व और परोपकार के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्होंने अपने नेतृत्व में कई टाटा समूहों में कई क्रांतिकारी बदलाव लाए। रतन टाटा देश के एकमात्र उद्योगपति थे जिन्होंने अपनी संपत्ति का सबसे अधिक हिस्सा दान किया था। हालाँकि रतन टाटा ने जीवन भर अपनी उदारता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्धि हासिल की, लेकिन वह हमेशा मीडिया से दूर रहे।

रतन टाटा की सफलता की कहानी केवल वित्तीय सफलता पर आधारित नहीं है। उन्होंने सदैव सामाजिक प्रतिबद्धता पर बल दिया। 2008 के मुंबई हमलों के बाद पुनर्निर्माण में उनकी मदद के लिए उनकी व्यापक सराहना की गई। साथ ही, टाटा नैनो को आम आदमी के लिए सस्ती कार बनाने का उनका प्रयास भी सराहनीय है।

2012 में वह टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उनके निर्णय, साहसी दृष्टिकोण और सामाजिक प्रतिबद्धता का समाज पर बहुत प्रभाव है। रतन टाटा भारत का गौरव हैं और उद्यमियों की अगली पीढ़ी के लिए एक आदर्श हैं।

About The Author

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed