June 14, 2025

शाहिदी शताब्दी और गुरु-ता-गद्दी समागम के सफल आयोजन के लिए राज्य सरकार का पूरा सहयोग रहेगा : मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

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Shahidi

शाहिदी शताब्दी और गुरु-ता-गद्दी समागम के सफल आयोजन के लिए राज्य सरकार का पूरा सहयोग रहेगा : मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई, जून (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)

गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शाहिदी वर्षगांठ और गुरु गोविंद सिंह जी के 350वें गुरु-ता-गद्दी समागम कार्यक्रमों का आयोजन महाराष्ट्र के नांदेड, नागपुर और मुंबई में किया जाएगा। इन ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण आयोजनों के लिए राज्य सरकार की ओर से हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी, यह आश्वासन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज राज्यस्तरीय समिति की बैठक में दिया।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि यह समागम न केवल गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोविंद सिंह जी के इतिहास को जनमानस तक पहुँचाएगा, बल्कि आज की पीढ़ी को उनकी जिम्मेदारियों का बोध भी कराएगा। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने औरंगज़ेब की क्रूरता के समय में समाज के लिए बलिदान दिया, यह प्रेरक इतिहास नई पीढ़ी तक पहुँचना चाहिए।

राज्यस्तरीय समिति की यह बैठक वर्षा निवासस्थान पर आयोजित की गई थी, जिसमें समिति के मार्गदर्शक संत ज्ञानी हरनाम सिंह श्री खालसा, धर्मगुरु संत श्री बाबूसिंह महाराज, संत रघुमुनीजी महाराज, गोपाल चैतन्य महाराज, शरद ढोले सहित कई प्रमुख धर्मगुरु उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह कार्यक्रम केवल इतिहास की जानकारी देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह देश के सशक्तिकरण और सामाजिक एकता का माध्यम भी बनेगा। सभी समुदाय मिलकर इसमें भाग लेंगे और इससे राष्ट्रीय एकता को बल मिलेगा।

आयोजन तिथियां :

  • नांदेड: 15-16 नवंबर 2025
  • नागपुर: 6 दिसंबर 2025
  • नवी मुंबई: 21-22 दिसंबर 2025

समन्वयक रामेश्वर नाईक ने बैठक में आयोजन की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम के उद्देश्यों और रूपरेखा पर संत बाबूसिंह महाराज, ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा, और शरद ढोले ने भी अपने विचार रखे।

बैठक में  विकास खारगे (मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव), इक्बाल सिंह चहल (अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग), ओ. पी. गुप्ता (अपर मुख्य सचिव, वित्त),के. गोविंदराज (प्रधान सचिव, नगर विकास विभाग), ब्रिजेश सिंह (प्रधान सचिव व महासंचालक, सूचना व जनसंपर्क महासंचालनालय), निखिल गुप्ता (अपर पुलिस महासंचालक) उपस्थित थे.

इस समागम के माध्यम से न केवल ऐतिहासिक स्मृति का संरक्षण होगा, बल्कि धार्मिक एकता, सामाजिक चेतना और युवा पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति का संचार भी किया जाएगा।

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