संतपीठ में शिक्षा लेने वाले विद्यार्थी भागवत धर्म को विश्वभर में फैलाएंगे : मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

संत तुकाराम महाराज संतपीठ में कलादालन एवं सभागार का लोकार्पण
पुणे, जून (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विश्वास व्यक्त किया कि जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज संतपीठ में शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी भागवत धर्म को संपूर्ण विश्व में फैलाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, संतों के विचार और परंपराएं आगे की पीढ़ियों तक पहुँचाना आवश्यक है, ताकि वे वैश्विक स्तर तक पहुँच सकें।
मुख्यमंत्री श्री फडणवीस श्रीक्षेत्र टाळगाव, चिखली में वारकरी संप्रदाय की परंपरा के साथ आधुनिक शिक्षा देने वाली संस्था, जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज संतपीठ के कलादालन और सभागार के उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे।
इस अवसर पर सांसद श्रीरंग बारणे, विधायक महेश लांडगे, अमित गोरखे, पिंपरी चिंचवड महापालिका आयुक्त शेखर सिंह, संतपीठ के संचालक डॉ. सदानंद मोरे, चिंतन समिति व संतपीठ समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे।
संत साहित्य को चार भाषाओं में शिक्षा का माध्यम
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र को महान संत परंपरा प्राप्त है और संतपीठ इस परंपरा को सहेजने का कार्य कर रहा है। इस संस्था को वैश्विक स्वरूप दिया जा रहा है, जहाँ संत साहित्य को सीबीएसई पाठ्यक्रम के माध्यम से संस्कृत, मराठी, हिंदी और अंग्रेज़ी भाषाओं में पढ़ाया जाएगा। साथ ही, विभिन्न वाद्ययंत्रों का प्रशिक्षण भी यहाँ दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि संतपीठ के आगामी योजनाओं के तहत पंढरपुर और आळंदी में नए संतपीठ स्थापित किए जाएंगे, और राज्य सरकार उनकी पूरी सहायता करेगी। इन सभी संतपीठों को एक-दूसरे के पूरक बनाया जाएगा।
मराठी को ज्ञान की भाषा बनाने की पहल
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कारण मराठी को “ज्ञानभाषा” बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। महाराष्ट्र सरकार ने इस नीति को अपनाया है और अब राज्य की सभी स्कूलों में मराठी भाषा अनिवार्य कर दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अन्य भारतीय भाषाओं का अपमान करें।
संतपीठ की पहल और सरकार का सहयोग
संतपीठ के संचालक डॉ. सदानंद मोरे ने बताया कि पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका ने संत परंपरा को सहेजने वाली यह शैक्षणिक संस्था स्थापित की है। इसके माध्यम से संतों के विचारों को जन-जन तक पहुँचाया जाएगा। उन्होंने मांग की कि संतपीठ की भावी योजनाओं के लिए राज्य सरकार आवश्यक सहायता प्रदान करे।
नवीन इमारत, सुविधाएं और वृक्षारोपण अभियान
मुख्यमंत्री के हाथों संत मल्हारपंत कुलकर्णी गायन कक्ष, संत सोनबा ठाकूर पखावज कक्ष, पं. अरविंद मुळगावकर तबला कक्ष और ह.भ.प. महादजी शिंदे सभागार का लोकार्पण और पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन भी किया गया।
साथ ही, मुख्यमंत्री के हाथों इस वर्ष 1.5 लाख देशी वृक्षों के वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ भी हुआ, जिसे पिंपरी-चिंचवड महापालिका द्वारा चलाया जाएगा।
करीब 23.54 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस संतपीठ में ग्राउंड फ्लोर और 5 मंजिलें हैं, कुल निर्माण क्षेत्र 13,161 वर्ग मीटर है। इसमें 55 कक्षाएं, 9 कार्यालय, 40 अन्य कक्ष (प्रयोगशाला, कंप्यूटर कक्ष, संगीत व वाद्य कक्ष आदि), सभागार, हर मंजिल पर शौचालय, और खेल मैदान की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
संत ज्ञानेश्वर और संत नामदेव की भेंट का शिल्प लोकार्पण
मुख्यमंत्री फडणवीस के हाथों पुणे-अलंदी पालखी मार्ग पर संत ज्ञानेश्वर महाराज और संत नामदेव महाराज की भेंट का भव्य समूहशिल्प तथा संतसृष्टि का लोकार्पण भी किया गया। इस संतसृष्टि में विभिन्न संतों के जीवन पर आधारित भित्तीचित्र और 25 संतों की मिश्रधातु में बनी मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। इन मूर्तियों में संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर, संत सोपान, संत निवृत्ती, संत मुक्ताबाई सहित 20 वारकरी संतों की मूर्तियाँ शामिल हैं।
कुल 47 कांस्य मूर्तियों का निर्माण किया गया है। यह परियोजना 30.69 करोड़ रुपये की लागत से पूर्ण हुई है।
“यह केवल शैक्षणिक या सांस्कृतिक प्रकल्प नहीं, बल्कि यह महाराष्ट्र की अध्यात्मिक परंपरा का विश्वभर में विस्तार करने का एक सशक्त माध्यम है।” – मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस
Share this content: