June 18, 2025

भारत बोध से जोड़ती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्रो. कुमुद शर्मा

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भारत बोध से जोड़ती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्रो. कुमुद शर्मा
हिंदी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति अभिविन्यास और संवेदनशीलता कार्यक्रम उद्घाटित

वर्धा, जून (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
महात्मा गांधी आंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में यूजीसी – मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति अभिविन्यास और संवेदनशीलता कार्यक्रम के उद्घाटन में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारत सरकार का ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम है। यह भारत केंद्रित शिक्षा नीति है। यह शिक्षा नीति हमें भारत बोध से जोड़ती है। शिक्षा के अतीत, वर्तमान और भविष्य को लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप निर्मित हुआ है। राष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने का मार्ग इस नीति से प्रशस्त होगा और इससे विद्यार्थी विशेषज्ञ बनकर भारत को विश्वगुरू बनाएंगे।

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सोमवार, 16 जून को ऑनलाइन आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम का प्रास्ताविक साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अवधेश कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को जन-जन तक पहुँचाना इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। उन्होंने इसके क्रियान्वयन के सूत्र को बताते हुए 08 दिन तक चलने वाले विभिन्न विषयों पर आयोजित व्याख्यानों एवं विषय विशेषज्ञों की जानकारी दी।

उद्घाटन के बाद राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी ने भारतीय ज्ञान प्रणाली और बहुभाषावाद विषय पर तथा गुरु घासीदास विश्वविद्यलाय बिलासपुर के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने शैक्षणिक नेतृत्व, शासन और प्रबंधन विषय पर व्याख्यान दिए। यह कार्यक्रम 16 से 23 जून तक आयोजित है, जिसमें 13 राज्यों के लगभग 200 प्रतिभागी शामिल हुए हैं।

कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा का स्वागत प्रो. अवधेश कुमार व कार्यवाहक कुलसचिव राजेश अरोड़ा ने पुष्पगुच्छ से किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र बाबू ने किया। इस अवसर पर कार्यवाहक कुलसचिव राजेश अरोड़ा, सहायक प्रोफेसर डॉ. रूपेश कुमार सिंह, डॉ. संदीप कुमार वर्मा, हिंदी अधिकारी राजेश यादव, जनसंपर्क अधिकारी बी. एस. मिरगे उपस्थित थे।

कार्यक्रम में आगामी 07 दिनों में समग्र एवं बहुविषयक शिक्षा, उच्च शिक्षा और समाज, शोध और विकास, कौशल विकास, छात्र विविधता और समावेशी शिक्षा, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, संस्थान को स्वायत्तता और छात्रों को विकल्प, पाठ्यक्रम, विकास, शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन इन विषयों पर प्रतिदिन दो व्याख्यान होंगे। विषय विशेषज्ञ के रूप में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के प्रो. सुरेंद्र पाण्डेय, गोंडवाना विश्वविद्यालय गडचिरोली के कुलपति प्रो. प्रशान्त बोकारे, मुम्बई विश्वविद्यालय के प्रो. करूणाशंकर उपाध्याय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज के प्रो. मनोज कुमार, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी की प्रो. भावना वर्मा, बी.एच.यू. वाराणसी के पूर्व प्रोफेसर प्रो. हरिकेश सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव रंजन, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के पूर्व प्रोफेसर प्रो. अम्बिका दत्त शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोशिएट प्रोफेसर प्रो. आशुतोष कुमार मिश्र, पंडित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, बिलासपुर के प्रो. धनंजय मिश्र, हिंदी विवि के अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल विषय विशेषज्ञ के रूप में ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करेंगे।

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