नीति आयोग ने भारत में सहायक प्रौद्योगिकी के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर कार्यशाला आयोजित की
नीति आयोग ने भारत में सहायक प्रौद्योगिकी के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर कार्यशाला आयोजित की
महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से आयोजन
नीति आयोग ने महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से आज पुणे के यशदा में “भारत में सहायक प्रौद्योगिकी के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने” विषय पर कार्यशाला आयोजित की।
कार्यशाला का उद्घाटन महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग के मंत्री श्री संजय शिरसाट ने किया। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल, महाराष्ट्र सरकार की मुख्य सचिव श्रीमती सुजाता सौनिक, नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. राजीब कुमार सेन, यशदा के महानिदेशक श्री निरंजन कुमार सुधांशु और नीति आयोग के संयुक्त सचिव श्री के.एस. रेजिमन और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।
अपने उद्घाटन भाषण में माननीय मंत्री ने एटी उद्योग की घरेलू क्षमता के महत्व और समावेशिता को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर बल दिया।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने अपने विशेष संबोधन में सहायक प्रौद्योगिकी के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया, जो विजन@2047 को प्राप्त करने में सामाजिक समावेशन के लिए महत्वपूर्ण है।
दिन भर चली कार्यशाला में तीन सत्र हुए, जिनमें चुनौतियों, अंतरालों, सर्वोत्तम प्रथाओं, पहलों और केंद्र सरकार, राज्य सरकार, अंतरराष्ट्रीय संगठन, उद्योग/स्टार्ट-अप आदि की भूमिका पर चर्चा की गई।
पहला सत्र “भारत में सहायक प्रौद्योगिकी तक पहुंच में सुधार” पर केंद्रित था। इस सत्र में इस बात का व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया कि किस तरह प्रमुख सरकारी पहल, नीतियां और अंतर-क्षेत्रीय सहयोग दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी), बुजुर्गों और हाशिए के अन्य समुदायों के लिए सहायक प्रौद्योगिकियों को अधिक सुलभ बनाने में परिवर्तनकारी भूमिका निभा रहे हैं।
“सहायक प्रौद्योगिकी में राज्य पहल” पर दूसरे सत्र में, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना और तमिलनाडु की सरकारों के प्रतिनिधियों ने इस बात पर बल दिया कि कैसे लक्षित नीतियां, साझेदारियां और जमीनी स्तर पर किए गए प्रयास सहायक प्रौद्योगिकी की पहुंच और प्रभाव में सुधार कर रहे हैं।
सहायक प्रौद्योगिकी कार्यशाला के तीसरे सत्र में “एटी विनिर्माण और वैश्विक सहयोग” पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें एटी के लिए मजबूत घरेलू विनिर्माण आधार को बढ़ावा देने और वैश्विक भागीदारी के अपार मूल्य के महत्व को सामने लाया गया। डब्ल्यूएचओ, यूएनडीपी, एटीएसकेले (यूएनओपीएस), विश्व बैंक, असिस्टेक फाउंडेशन और टाइनॉर के प्रतिनिधियों ने भारत में एटी को आगे बढ़ाने में वैश्विक सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका की जानकारी दी, क्योंकि भारत एटी नवाचार और विनिर्माण के लिए वैश्विक केंद्र बनने की आकांक्षा रखता है।
समापन सत्र में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले ने प्रतिभागियों को संबोधित किया और समावेशी समाज के निर्माण के महत्व पर बल दिया।
कार्यशाला के दौरान विचार-विमर्श और सुझाव भारत में सहायक प्रौद्योगिकी के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे, ताकि समावेशी समाज के निर्माण के लिए विकसित भारत विजन @2047 को प्राप्त किया जा सके।
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