कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने महाराष्ट्र से अमेरिका को भारतीय अनार की पहली वाणिज्यिक समुद्री खेप भेजी
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने महाराष्ट्र से अमेरिका को भारतीय अनार की पहली वाणिज्यिक समुद्री खेप भेजी
महाराष्ट्र के अहिल्यानगर से 14 टन भारतीय अनार अमेरिका के न्यूयॉर्क को निर्यात की गई
दूर-दराज के बाजारों में भारतीय अनार को पेश करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत, अनार की बहुमूल्य भारतीय भगवा किस्म की एक ऐतिहासिक वाणिज्यिक समुद्री खेप सफलतापूर्वक न्यूयॉर्क पहुंची। यह भारत के ताजे फलों के निर्यात में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ताजे फलों की उच्च गुणवत्ता की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय मांग के साथ, इस खेप के आने से भारतीय अनार के प्रतिस्पर्धी अमेरिकी बाजार में पसंदीदा विकल्प बनने की संभावना का संकेत मिलता है।
अनार के मौसम में, जिसमें पारंपरिक रूप से हवाई माल ढुलाई को परिवहन का प्राथमिक साधन माना जाता था हाल के सप्ताहों में इसमें बदलाव आया है तथा लागत प्रभावी और वहनीय समुद्री माल ढुलाई को अपनाया गया है।
भारत को अनार के लिए अमेरिका द्वारा बाजार पहुंच प्रदान किए जाने के बाद, 2023 में मौसम के दौरान, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग के पशु और पादप स्वास्थ्य निरीक्षण सेवा (यूएसडीए एपीएचआईएस), राष्ट्रीय पादप संरक्षण संगठन (एनपीपीओ – भारत) और राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केंद्र, सोलापुर (एनआरसीपी) के सहयोग से अमेरिका को हवाई मार्ग से अनार की सफलतापूर्वक परीक्षण खेप भेजी।
आईसीएआर-राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केंद्र के सहयोग से एपीडा द्वारा अनार को सुरक्षित रखने की अवधि 60 दिनों तक बढ़ाने के लिए किए गए स्थैतिक परीक्षण की सफलता के कारण, भारत ने फरवरी, 2024 में विकिरण सुविधा केंद्र (आईएफसी), महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड (एमएसएएमबी), वाशी, नवी मुंबई से आईएनआई फार्म्स के सहयोग से 4200 बक्से यानी 12.6 टन अनार की अपनी पहली परीक्षण वाणिज्यिक समुद्री खेप को सफलतापूर्वक अमेरिका के लिए रवाना किया था।
एपीडा ने दिसंबर, 2024 में अनार के लिए यूएसडीए पहले से ही अनापत्ति कार्यक्रम की सुविधा प्रदान की जिसने भारतीय कृषि निर्यातकों के लिए रसद और विनियामक बाधाओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनकी अमेरिकी बाजार तक पहुंच बनी। पहले से ही अनापत्ति प्रक्रिया के लिए तीन महीने पहले यूएसडीए निरीक्षकों को आमंत्रित करने में एपीडा के सक्रिय दृष्टिकोण ने खेप के सुचारू और समय पर आगमन को सुनिश्चित किया।
भारतीय अनार के 4,620 बक्सों की पहली समुद्री खेप, जिसका वजन लगभग 14 टन था, मार्च के दूसरे सप्ताह में अमेरिका के पूर्वी तट पर पहुंच गई। यह खेप प्रस्थान के पांच सप्ताह के भीतर ही अमेरिका पहुंच गई। न्यूयॉर्क में इस खेप का असाधारण स्वागत किया गया। आगमन की गुणवत्ता को “उत्कृष्ट” बताया गया और ग्राहक भारतीय भगवा किस्म के अनारों की उल्लेखनीय अपील और खाने की बेहतरीन गुणवत्ता से मंत्रमुग्ध हो गए।
एपीडा के अध्यक्ष श्री अभिषेक देव ने कहा, “भारत सरकार वैश्विक बाजार के लिए भारतीय ताजे फलों को बढ़ावा देने में अग्रणी रही है। एपीडा पहले से ही अनापत्ति कार्यक्रम के लिए वित्त व्यवस्था करके अमेरिका में आम और अनार जैसे भारतीय फलों के निर्यात में सहायता कर रहा है। भारतीय किसानों को बेहतर लाभ तब मिलेगा जब उनके फल अमेरिका जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात किए जाएंगे। भारतीय आमों का वार्षिक निर्यात पहले ही लगभग 3500 टन तक पहुंच चुका है और हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में अनार का निर्यात भी इतना हो जाएगा।”
यह खेप मुंबई के फलों और सब्जियों के प्रमुख निर्यातक और एपीडा में पंजीकृत निर्यातक के बी एक्सपोर्ट्स द्वारा भेजी गई थी। इस खेप में अनार सीधे के बी एक्सपोर्ट्स के खेतों से मंगाए गए थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस निर्यात का लाभ जमीनी स्तर पर भारतीय किसानों तक पहुंचे।
के बी एक्सपोर्ट्स के सीईओ श्री कौशल खाखर ने सफलतापूर्वक खेप भेजने पर कहा, “हम अमेरिकी बाजार में भारतीय अनार के निर्यात में सहयोग के लिए एपीडा के आभारी हैं। एपीडा के प्रयासों में बाजार पहुंच सुनिश्चित करने से लेकर निर्यात प्रोटोकॉल स्थापित करना, कई हितधारकों के साथ समन्वय करना और यूएसडीए के साथ मिलकर पहले से ही अनापत्ति कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है। के बी अनार में विशेषज्ञ है और भारत से सबसे अच्छे फल की पेशकश करने की उम्मीद करता है। हमारे ग्राहक सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले फल की उम्मीद करते हैं और हम हमेशा ऐसा करने का प्रयास करते हैं।”
भारतीय निर्यात संघ के एक प्रतिनिधि ने कहा, “जबकि भारतीय अनार हमेशा से अपने स्वाद के लिए जाने जाते रहे हैं, इस खेप में ने साबित कर दिया है कि सही गुणवत्ता और स्थिरता के साथ, भारतीय ताजे फल अमेरिकी उपभोक्ता के समझदार स्वाद को पूरा कर सकते हैं।” “हम बाजार में स्वागत से खुश हैं और हमें विश्वास है कि यह सफल आगमन आने वाले मौसमों में निर्यात की मात्रा में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।”
भविष्य को देखते हुए, उद्योग को उम्मीद है कि निरंतर विपणन प्रयासों और रणनीतिक प्रचार अभियानों से, भारतीय अनार बड़े अमेरिकी बाजार में अपने लिए एक जगह बना सकते हैं। बढ़ती सफलता को ध्यान में रखते हुए, उद्योग के हितधारकों ने आने वाले वर्ष में भारतीय अनार के लिए प्रचार अभियान शुरू करने में एपीडा के निरंतर सहयोग की मांग की है। इसका उद्देश्य अमेरिकी उपभोक्ताओं को फल की असाधारण खाने की गुणवत्ता और विविध पाक अनुप्रयोगों के बारे में बताना है।
भारत बागवानी फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य अनार के प्रमुख उत्पादक हैं। एपीडा ने अनार के लिए विशेष रूप से निर्यात संवर्धन मंच (ईपीएफ) की स्थापना की है जिसका उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना और आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं को दूर करना है। इन ईपीएफ मंचों में वाणिज्य विभाग, कृषि विभाग, राज्य सरकारों, राष्ट्रीय रेफरल प्रयोगशालाओं और दस प्रमुख शीर्ष निर्यातकों के प्रतिनिधि शामिल हैं जो अनार के निर्यात को बढ़ावा देने में सहयोग सुनिश्चित करते हैं।
भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 69.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के 72,011 मीट्रिक टन अनार का निर्यात किया। इस वर्ष, भारत से अनार के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अप्रैल-जनवरी, 2024-2025 की अवधि में 59.76 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के साथ निर्यात में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रमुख निर्यात गंतव्यों में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बांग्लादेश, नेपाल, नीदरलैंड, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, बहरीन, ओमान और अमेरिका शामिल हैं।
भारतीय अनार, विशेष रूप से भगवा किस्म अपने स्वाद, गहरे लाल रंग और उच्च पोषण मूल्य के लिए प्रसिद्ध हैं। ये अनार एंटीऑक्सीडेंट और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो उन्हें दुनिया भर में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बनाते हैं।
ताजे फलों और सब्जियों के खराब होने की प्रकृति के बावजूद उनके निर्यात को बढ़ावा देने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता, लंबी दूरी के गंतव्यों को निर्यात करते समय उत्पाद की विशेषताओं को बनाए रखने के लिए समुद्री प्रोटोकॉल के विकास में स्पष्ट है। यह पहल न केवल वैश्विक बाजारों में भारत की स्थिति को मजबूत करती है, बल्कि स्थायी निर्यात अवसर पैदा करके भारतीय किसानों को सीधे सहायता भी देती है।
उच्च गुणवत्ता वाले फलों की निरंतर आपूर्ति, तथा निरंतर विपणन पहलों से निस्संदेह भारतीय अनार अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए एक वांछनीय विकल्प बन जाएंगे जिससे आने वाले वर्षों में अमेरिकी खुदरा बाजार में उनकी जगह सुनिश्चित हो जाएगी।
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