राष्ट्रसेवा में भाग लेनेवाले युवाओं पर हमें गर्व है : अतिरिक्त आयुक्त प्रदीप जांभले पाटिल
राष्ट्रसेवा में भाग लेनेवाले युवाओं पर हमें गर्व है : अतिरिक्त आयुक्त प्रदीप जांभले पाटिल
अतिरिक्त आयुक्त द्वारा लेफ्टिनेंट चिंतामन विष्णु बुरसे सम्मानित
पिंपरी, मार्च (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
पिंपरी-चिंचवड़ शहर के युवाओं द्वारा राष्ट्रसेवा में भाग लेने से शहर का मान बढ़ा है और ऐसे युवाओं पर हमें गर्व है। यह विचार अतिरिक्त आयुक्त प्रदीप जांभले पाटिल ने व्यक्त किए।
राष्ट्रसेवा के लिए बचपन से ही भारतीय सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करने का सपना देखते हुए महज 23 साल की उम्र में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर चयनित हुए पिंपले गुरव के चिंतामन विष्णु बुरसे को नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त प्रदीप जांभले पाटिल के शुभ हाथों सम्मानित किया गया तब वे बोल रहे थे। इस अवसर पर यहां जनता संपर्क अधिकारी प्रफुल्ल पुराणिक, चिंतामण बुरसे के पिता विष्णु बुरसे, माता स्वाति बुरसे, विद्युत विभाग के प्रशांत जोशी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
बचपन से ही भारतीय सेना के पोस्टर देखकर चिंतामन को भारतीय सेना में शामिल होने की चाह निर्माण हुई। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए उन्होंने लगातार सेना में भरती होने का प्रयास किया। चिंतामन ने एनडीए में चयनित होने के लिए तीन बार लिखित परीक्षा दी, लेकिन साक्षात्कार में चयनित नहीं हुए तब उन्होंने अपना आत्मविश्वास कम नहीं होने दिया और फिर से कड़ी मेहनत की और एनसीसी कोटा से परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्हें लेफ्टिनेंट के रूप में चुना गया। चिंतामन ने चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में तीन महीने का कठोर प्रशिक्षण भी पूरा किया है। जल्द ही ग्वालियर में लेफ्टिनेंट के पद पर भारतीय सेना में शामिल होंगे।
हर बच्चे के जीवन में माता-पिता की भूमिका अहम होती है। चिंतामन के पिता विष्णु बुरसे पुणे के एम.एम. कार्पोरेशन में एक एकाउंटेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं और मां स्वाति बुरसे पिंपलेगुरव में प्राइवेट क्लास चलाती हैं। हालाँकि, उन्होंने हमेशा चिंतामन को उसकी रुचि के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। भर्ती में असफलता के बाद मजबूती से उनके पीछे खड़े रहे। अपने बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने के पीछे न लगाते हुए अपने बेटे को सेना में जाकर देश की सेवा करने का सपना उन्होंने दिखाया इसीलिए चिंतामन बड़ी सफलता हासिल करने में सफल रहे।
अपने लक्ष्य को सामने रखें और जीवन में आनेवाली हर असफलता का डटकर सामना करें। अपना लक्ष्य न छोड़ें, सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करें। मैंने भी बचपन से एक आर्मी ऑफिसर बनने का सपना देखा था। वह आज पूरा हो गया। यह विचार लेफ्टिनेंट चिंतामन बुरसे ने व्यक्त किए।
चिंतामन बचपन से ही सेना में भर्ती होना चाहते थे। हमने भी हमेशा उनको समर्थन दिया। कई असफलताओं के बावजूद उन्होंने कड़ी मेहनत से आनेवाली कड़ी चुनौती का सामना किया और अपना सपना पूरा किया। यह जानकारी चिंतामन की मां स्वाति बुरसे ने दी।
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