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मांजरी निवासियों को पेयजल कब मिलेगा…. पानी की टंकी सिर के पास फिर भी हमारे सूखे गले !

मांजरी निवासियों को पेयजल कब मिलेगा.... पानी की टंकी सिर के पास फिर भी हमारे सूखे गले !

मांजरी निवासियों को पेयजल कब मिलेगा…. पानी की टंकी सिर के पास फिर भी हमारे सूखे गले !

मांजरी निवासियों को पेयजल कब मिलेगा…. पानी की टंकी सिर के पास फिर भी हमारे सूखे गले !
लिखित आश्वासन न मिलने पर शिवसेना करेगी आंदोलन : प्रवीण रणदिवे

मांजरी, मार्च (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
मार्च 2022 से पहले पुणे नगर निगम सीमा के 4 किमी. निकटवर्ती और अब नगर निगम में पूरी तरह शामिल मांजरी बुद्रुक में महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण योजना के माध्यम से 43 करोड़ रुपये की जल योजना 2018 में स्वीकृत की गई थी। बाद में इसे मुख्यमंत्री पेयजल योजना का नाम भी दिया गया, परंतु सात साल के बाद भी मांजरी बुद्रुक के करीब पौने दो लाख निवासी आज भी पीने के पानी से वंचित हैं। चौबीसों घंटे नहीं बल्कि कम से कम सुबह और शाम एक-एक घंटा मांजरी निवासियों को निश्चित नियमित पानी मिलेगा, ठोस लिखित आश्वासन दिया जाए अन्यथा शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी मांजरी निवासियों को साथ लेकर तीव्र जनआंदोलन करेगी। यह चेतावनी शिवसैनिक प्रवीण रणदिवे ने लिखित निवेदन के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री तथा पुणे जिले के पालकमंत्री, स्वच्छता एवं जलापूर्ति मंत्री, पुणे महानगरपालिका आयुक्त, महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के कार्यकारी अभियंता साथ ही लश्कर जलापूर्ति केंद्र अभियंता को दिया है। इस अवसर पर संतोष ढोरे, गणेश घुले, गोरख आडेकर, आबासाहब मोहिते, दीपक राखपसरे, सिद्धेश्वर जाधव आदि उपस्थित थे।

इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए शिवसैनिक प्रवीण रणदिवे ने बताया कि इस योजना के तहत मांजरी क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर टैंक का निर्माण कराया गया, लेकिन वर्तमान में बस इतना कहने का समय आ गया है, टंकी सिर पर लेकिन सूखा गला। कुछ रुकावटें पार करने के बाद पानी की पाइपलाइन का काम भी धीमी गति से शुरू था। यह अभी भी पूरा नहीं हुआ है। अंदरूनी इलाकों में कुछ जगहों पर अभी भी पाइप लाइन का काम अधूरा है। कुछ स्थानों पर आंतरिक पाइप लाइन अभी भी सड़क की मुख्य पाइप लाइन से नहीं जुड़ी है। इसके अलावा लचर प्रशासन की अकुशलता के कारण मुख्य सड़क से आनेवाली पाइपलाइन का कार्य भी कुछ जगहों पर घटिया गुणवत्ता का हो गया है। कई जगहों पर ज्वाइंट का काम गलत तरीके से किया गया है, तो कुछ जगहों पर पाइप लाइन में ही कचरा जमा है। हकीकत में, पाइप लाइन के संचालन के दौरान प्रशासन का उस पर कोई तकनीकी नियंत्रण नहीं था, इससे ये साबित होता है।

विधानसभा चुनाव से पहले निजी ठेकेदारों से 1500 रुपए लेकर घर-घर नल कनेक्शन देना शुरू किया गया था, उस समय नागरिकों की उम्मीदें उमड़ गई थीं परंतु उसमें भी कुछ लोगों की श्रेष्ठता के कारण भेदभाव किया गया था। आम नागरिकों को घर पर आधा इंच की और कुछ घरों को पौन इंच से एक इंच की पाइप लाइन दी गई है, ऐसा निदर्शन में पाया गया है। इसके पीछे क्या गड़बड़ है? इस पर प्रशासन ने अपना स्पष्टीकरण देना अनिवार्य है।

कुछ इलाकों में उक्त पाइप लाइन से नियमित नहीं बल्कि आठ दिन में एक या दो बार पानी छोड़ा जाता है। उसमें भी कुछ लोगों द्वारा दबाव बनाकर उत्पीड़न किया जा रहा है। बेशक पाइप लाइन छोटी या छोटे व्यास की होने के कारण भीतरी कॉलोनी के दोनों तरफ के आखिरी घर तक पानी का दबाव समान रूप से नहीं आ पाता है, ऐसी शिकायतें नागरिकों की ओर से आ रही हैं। दरअसल, स्ट्रक्चरल ऑडिट करना जरूरी है। इस ओर भी श्री रणदिवे ने प्रशासन का ध्यान केंद्रित किया है। यह योजना अभी तक पुणे नगर निगम को हस्तांतरित नहीं हुई है। पुणे नगर निगम के पास भी पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं। साथ ही काम भी अधूरा है.. तो इस योजना का लाभ आम नागरिकों को कब तक पूरा मिलेगा? इसका इंतज़ार मांजरी निवासी कर रहे हैं। क्षेत्र में कई स्थानों पर कुछ दानदाता और कुछ व्यापारी टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति कर रहे हैं, इस समय गर्मी की तीव्रता बड़े पैमाने पर महसूस की जा रही है और फरवरी से भी बोरवेलों से पर्याप्त पानी नहीं आ रहा है। इसका खामियाजा आज भी नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है, परंतु प्रशासन को इसका कोई भी लेना-देना नहीं है। यह सच है कि भाग्यशाली मांजरी निवासियों को ऐसे प्रतिनिधि मिले हैं जो पिछले दस वर्षों से सत्ता में हैं, लेकिन उन्हें संवेदनशील होने और आज मांजरी के पानी के मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। आम मांजरी निवासी इस पर नजरें गड़ाए बैठें हैं।

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