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जलयुक्त शिवार अभियान में सामाजिक संस्थाओं की सहभागिता

जलयुक्त शिवार अभियान में सामाजिक संस्थाओं की सहभागिता

जलयुक्त शिवार अभियान में सामाजिक संस्थाओं की सहभागिता

जलयुक्त शिवार अभियान में सामाजिक संस्थाओं की सहभागिता

राज्य सरकार और ए.टी..चंद्रा फाउंडेशन के बीच सामंजस्य करार

मुंबई, मार्च (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)

राज्य में ‘जलयुक्त शिवार योजना-2’ अंतर्गत ‘गादमुक्त तालाब-गादयुक्त खेत’ (‘गाळमुक्त धरण, गाळयुक्त शिवार’) योजना चलाई जा रही है. इस योजना के माध्यम से तालाबों का जल संग्रहण बढ़ाने के साथ-साथ खेती की सुपीकता बढ़ाने में बडे पैमाने पर मदद हो रही है. इस योजना का सहभाग और प्रभावी क्रियान्वयन के संदर्भ में ए.टी.ई.चंद्रा फाउंडेशन और मृद एवं जलसंधारण विभाग के बीच सामंजस्य करार (MoU) किया गया है।

            ‘गादमुक्त तालाब, गादयुक्त खेत’ यह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसमें सामाजिक संस्था काम करने के लिये उत्सुक है. ए.टी.ई. चंद्रा फाउंडेशन सक्रिय सहभागी होने से राज्य के पानी की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ भूमि की सुपीकता बढाकर उत्पादन में भी वृद्धि होने में अच्छी मदद होगी. इस योजना के क्रियान्वयन में मृद व जलसंधारण विभाग ने फाउंडेशन को सहयोग करने की सूचना भी मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस दौरान विभाग को दी है।

अवनी ग्रामीण ॲप के माध्यम से ऑनलाइन डेटा का संकलन और नियंत्रण

   इस सामंजस्य करार के अनुसार इस योजना के लिये ए.टी.ई. चंद्रा फाउंडेशन

तकनीक सहयोग के साथ, प्रकल्प व्यवस्थापन कक्ष मानव संसाधन सहयोग उपलब्ध

कराया जायेगा. फाउंडेशन की ओर से विकसित किये गये अवनी ग्रामीण ॲप के

माध्यम से योजना के कामों का डेटा संकलन और नियंत्रण किया जायेगा. साथ ही फाउंडेशन के जरीये स्वयंसेवी संस्थाओं में नियुक्त किये जानेवाले कर्मचारियों को अवनी ग्रामीण ॲप का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।

जल संग्रहण में वृद्धि और भूमि की सुपीकता

  ‘गादमुक्त तालाब, गादयुक्त खेत’ योजना यह राज्य का महत्वाकांक्षी प्रकल्प है और इसमें तालाबों को गादमुक्त कर वह गाद खेत भूमि में डाला जाता है, जिससे जल संग्रहण में वृद्धि होती है और भूमि की सुपिकता भी बढती है। पिछले दो साल में राज्य में डेढ हजार से अधिक जल स्त्रोतों से तकरीबन साढेचार करोड़ घनमीटर गाद निकाला गया और चालीस हजार किसानों ने यह गाद खेती में डाला है। राज्य के 34 जिलों में तकरीबन 9 करोड़ घनमीटर गाद निकालने की क्षमता है और 1.8 लाख से अधिक गाद निकाला जायेगा. यह काम अभी तेज गति से शुरू है। ‘गादमुक्त तालाब, गादयुक्त खेत’ यह एक अभिनव योजना है और फिलॅन्ट्रॉपीक संस्था, सरकारी विभाग और स्थानीय समुदाय को एक साथ लाने का काम करता है और यह एक बडा सहभागात्मक उपक्रम है।

जलयुक्त शिवार अभियान यह महाराष्ट्र सरकार का महत्त्वाकांक्षी उपक्रम

जलयुक्त शिवार अभियान यह महाराष्ट्र सरकार का एक महत्वाकांक्षी उपक्रम है।  राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रो में जलसंधारण और जल व्यवस्थापन सुधारने के लिये चलाया गया। वर्ष 2015 में शुरू इस अभियान का मुख्य उद्देश्य भूजल स्तर बढाना, शाश्वत सिंचन सुविधा निर्माण करना और बारिश के पानी का प्रभावी पुनर्भरण करना था. इस अभियान के अंतर्गत जलसंधारण की विविध उपाययोजना जैसे की, छोटे बांध बनाना, नाला खुदाई, जलकुंभ, मिट्टीकाम, वृक्षारोपण और खेततालाब का समावेश है. पानी बचाना (“पाणी अडवा, पाणी

जिरवा”) इस बेसिस पर आधारित यह अभियान स्थानीय लोक सहभागिता के आधार पर चलाया गया. महाराष्ट्र के अनेक गावो में इससे जल संग्रहण बढाकर खेती के लिये पानी की उपलब्धता में सुधार हुआ है और सूखे की समस्या का निराकरण करने में मदद हुई है।

आरडब्ल्यूबी भारत की जल चुनौतियों पर एक किफायतशीर उपाय

            भारत के जलस्रोतों का पुनरुज्जीवन करने के लिये (आरडब्ल्यूबी) समुदाय-नेतृत्व में, तकनीक-सक्षम मॉडेल ग्रामीण जलसुरक्षा बढाने के लिये महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है। संमिश्र भू-उपयोग पुनर्संचयित और मूल्यांकन साधन (सीएलएआरटी जीआयएस) और एव्हीएनआय ग्रामीण अॅप भूजल पुनर्भरण की क्षमता के जल स्रोतों की पहचान कर सकता है और किसान स्तर पर भौगोलिक-टॅग किये गये प्रतिमा और जांच के द्वारा जल स्रोत पुनर्संचयित करने के लिये ऐसे हस्तक्षेप का निरीक्षण करने में सक्षम कर सकते है। इसीलिए आरडब्ल्यूबी भारत की जल चुनौतियो पर एक किफायतशीर उपाय है।

अमृत सरोवर मॉडेल

 अमृत सरोवर यह उपक्रम अधिकतर ‘गादमुक्त तालाब, गादयुक्त खेत’ इस उपक्रम पर आधारित है। अमृत सरोवर मॉडेल भारत सरकार का जलसंधारण और जलाशय पुनरुज्जीवन के लिये उपक्रम है, जो “आजादी का अमृत महोत्सव” अंतर्गत शुरू किया गया। इस मॉडेल का उद्देश ग्रामीण परिसर के पारंपरिक जलस्रोतों का पुनरुत्थान कर भूजल स्तर बढाना और पर्यावरण में सुधार करना है। इसके लिये स्थानीय प्रशासन, ग्रामपंचायतें और नागरिकों की सक्रिय सहभागिता ली जाती है। मनरेगा और अन्य सरकारी योजनाओं की मदद से जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे जलसंधारण समेत खेती और पशुपालन को भी गति मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्र का जल स्वावलंबन भी बढेगा।

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