विश्व मराठी सम्मेलन में मराठी भाषा के सभी घटकों को शामिल किया जाएगा : मंत्री उदय सामंत
विश्व मराठी सम्मेलन में मराठी भाषा के सभी घटकों को शामिल किया जाएगा : मंत्री उदय सामंत
मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने साहित्यकारों से की बातचीत
पुणे, जनवरी (जिमाका)
आगामी विश्व मराठी सम्मेलन के संबंध में साहित्यकारों के सुझाव जानने के लिए मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने उनसे बातचीत की। विश्व मराठी सम्मेलन में मराठी भाषा के सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा। यह आश्वासन श्री उदय सामंत ने इस अवसर पर दिया।
फर्ग्यूसन महाविद्यालय में आयोजित इस संवाद को महाराष्ट्र राज्य साहित्य और संस्कृति मंडल के अध्यक्ष डॉ. सदानंद मोरे, महाराष्ट्र राज्य मराठी विश्वकोश निर्मिती मंडल के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र शोभणे, राज्य मराठी विकास संस्था नियामक मंडल सदस्य डॉ. गणेश चंदनशिवे, मराठी भाषा विभाग के सहसचिव नामदेव भोसले, राज्य मराठी विकास संस्था के संचालक तथा विश्वकोश निर्मिती मंडल के प्रभारी सचिव डॉ. शामकांत देवडे, भाषा संचालक विजया डोणीकर, महाराष्ट्र राज्य साहित्य और संस्कृति मंडल की सचिव मीनाक्षी पाटिल आदि उपस्थित थे।
मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा मिलने के बाद पहला विश्व मराठी सम्मेलन पुणे में हो रहा है। यह बताते हुए मंत्री उदय सामंत ने कहा कि यह सम्मेलन पहले मुंबई, फिर वाशी और अब पुणे में हो रहा है। 31 जनवरी, 1 और 2 फरवरी 2025 तीन दिनों के लिए यह सम्मेलन फर्ग्यूसन कॉलेज में आयोजित किया गया है।
मंत्री श्री सामंत ने आगे जानकारी दी कि इस साहित्य सम्मेलन में मराठी में महान योगदान देनेवाले एक वरिष्ठ साहित्यिक के साथ-साथ एक नए लेखक को भी सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा मराठी को विशिष्ट दर्जा दिलाने में योगदान देनेवाली सभी समितियों समेत साहित्यिकों को भी सम्मानित किया जाएगा।
श्री सामंत ने आगे कहा कि इस सम्मेलन में बाल साहित्य से लेकर महिला, युवा, बुजुर्गों तक सभी को शामिल करने की कोशिश की गई है। साथ ही उन लोगों को भी इस बैठक में लाने का प्रयास किया जा रहा है, जिन्होंने मराठी के लिए योगदान दिया है, लेकिन किसी कारणवश आगे नहीं आ सके। इस बैठक में दुनिया भर के मराठी भाषियों को भी उनकी इच्छा और सरकार के प्रयासों से शामिल किया जाना चाहिए।
संतसाहित्य, अभंगवाणी, लोककला, महिला साहित्य, बाल साहित्य, मराठी में आधुनिक रुझान, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गीतों पर आधारित गीत, भक्ति गीत और आधुनिक गीत ऐसे विभिन्न चरणों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि पर जोर दिया जाएगा। फर्ग्यूसन कॉलेज का भव्य सभागार युवा पीढ़ी के साथ विभिन्न नवीन अवधारणाओं पर कार्यक्रमों की मेजबानी कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए किताबों के 100 स्टॉल लगाने की योजना बनाई गई है और अधिक स्टॉल लगाने का प्रयास किया जाएगा।
श्री सामंत ने बताया कि अभिजात भाषा का दर्जा मिलने के बाद मराठी के विकास के लिए केंद्र सरकार से और अधिक निधि प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके अलावा अभिजात भाषा में शामिल प्राकृत भाषा भी मराठी का मूल है, इसलिए इसका हिस्सा भी प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा।
श्री सामंत ने बताया कि मराठी भाषा विभाग ने ‘लाइब्रेरी ऑन व्हील्स’ की अवधारणा विभागीयस्तर पर शुरू करने का निर्णय लिया है और उसके बाद यह देखने का प्रयास किया जाएगा कि इसे जिला स्तर पर कैसे लागू किया जा सकता है। उद्योगों और मराठी को एक साथ लाने का प्रयास किया जा रहा है और उद्योगों को जिलाधिकारी के माध्यम से अपनी सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) निधि के माध्यम से पुस्तकालयों को वित्त पोषित करने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रंथालयों के विकास के लिए उनकी स्थापना काल के अनुसार वर्गीकृत करके पुस्तकों, फर्नीचर, उपकरणों के विकास के लिए निधि प्राप्त हो सके इसलिए प्रयास किए जाएंगे।
मंत्री श्री सामंत ने बताया कि इस अवसर पर विभिन्न लेखकों ने साहित्य सभा में संत साहित्य, लोककला, महिला साहित्य, कृत्रिम बुद्धि और मराठी भाषा के संयोजन, मराठी पुस्तकों का विदेशी भाषाओं में अनुवाद, प्रिंट खोज, सोशल मीडिया पर गुणवत्तापूर्ण मराठी लेखन, मराठी से गुणवत्तापूर्ण रिल्स बनाना आदि के अनुरूप चर्चा सत्र आयोजित करने के संबंध में सुझाव दिये गये। इस पर सकारात्मक होकर बैठक में शामिल करने का प्रयास किया जायेगा।
बैठक के बाद मंत्री श्री सामंत ने विश्व मराठी सम्मेलन स्थल का निरीक्षण किया और विभिन्न सुझाव दिये।
बैठक में योगी निरंजन नाथ, महाराष्ट्र साहित्य परिषद के कार्याध्यक्ष प्रा. मिलिंद जोशी, वरिष्ठ साहित्यिक डॉ. लक्ष्मीकांत देशमुख, डॉ. माधवी वैद्य आदि के साथ विविध साहित्यिक, फर्ग्यूसन महाविद्यालय की मराठी भाषा विभाग की प्रमुख प्रा. रुपाली शिंदे के साथ विभिन्न महाविद्यालयों के मराठी भाषा विभाग प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
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