युद्धपोतों का राष्ट्र को समर्पण सैन्य और आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
युद्धपोतों का राष्ट्र को समर्पण सैन्य और आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मुंबई, जनवरी (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नीलगिरि युद्धपोत, सूरत विध्वंसक और वाघशीर पनडुब्बी का लोकार्पण नौसेना की गौरवशाली परंपराओं को भविष्य की आकांक्षाओं से जोड़ने वाली ऐतिहासिक घटना है। उन्होंने कहा कि यह भारत की बड़ी समुद्री शक्ति बनने की दिशा में प्रगति को दर्शाता है, जो भारत की सुरक्षा और प्रगति को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करता है।
स्वदेश निर्मित तीन पोत – सूरत और नीलगिरि (युद्धपोत) तथा वाघशीर (पनडुब्बी) – मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किए गए। राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत पूरे विश्व को परिवार मानकर विकास की भावना से काम कर रहा है। नौसेना में तीन अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों का शामिल होना एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा बल बनाने की भारत की अटल प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। भारतीय समुद्री क्षेत्र में भारत पहला प्रतिसाद देने वाला देश बन गया है। नौसेना ने कई लोगों की जान बचाई है और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग को सुरक्षित किया है, जिससे भारत पर वैश्विक विश्वास बढ़ा है। आज भारत विश्वस्तर पर, विशेषकर ‘ग्लोबल साउथ‘ में एक विश्वसनीय और जिम्मेदार साझेदार के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने कहा कि तीन युद्धपोतों का राष्ट्र को समर्पण सैन्य और आर्थिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने जमीन, पानी, हवा, गहरे समुद्र या अनंत अंतरिक्ष जैसे सभी क्षेत्रों में तीनों सेवाओं के माध्यम से पिछले कुछ वर्षों में आत्मनिर्भरता की दिशा में अपनी प्रशंसनीय यात्रा जारी रखी है। छत्रपति शिवाजी महाराज की पवित्र भूमि पर एक विध्वंसक, युद्धपोत और पनडुब्बी की एक साथ कमीशनिंग के साथ, भारतीय नौसेना ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारतीय सैनिकों को अब भारतीय युद्ध सामग्री उपलब्ध है, और रक्षा सामग्री 100 से अधिक देशों को निर्यात की जा रही है। यह ‘मेक इन इंडिया‘ पहल का विस्तार कर रहा है और भारत के विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि तीन युद्धपोतों का एक साथ समर्पण समुद्री क्षेत्र में भारत की ताकत और महत्व को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र से महत्वपूर्ण व्यापार होता है, और भारत आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए रक्षा में आत्मनिर्भर हो रहा है, जिसमें तीनों पोत सक्षम हैं।
नौसेना प्रमुख एडमिरल त्रिपाठी ने इसे नौसेना के लिए गौरव और प्रतिष्ठा का दिन बताते हुए शक्ति, क्षमता और आत्मनिर्भरता का जश्न मनाया।
युद्धपोतों के बारे में संक्षिप्त जानकारी :
आईएनएस सूरत – परियोजना का चौथा और अंतिम जहाज, यह दुनिया के सबसे बड़े और सबसे उन्नत विध्वंसकों में से एक है। जहाज में 75% स्वदेशी घटक हैं और इसमें अत्याधुनिक हथियार-सेंसर प्रणाली और उन्नत नेटवर्क-केंद्रित क्षमताएं हैं।
आईएनएस वाघशीर – स्कॉर्पीन परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी, जो पनडुब्बी निर्माण में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता का प्रतिनिधित्व करती है। इसे फ्रांस के नेवल ग्रुप के सहयोग से बनाया गया है।
आईएनएस नीलगिरि – स्टील्थ फ्रिगेट परियोजना का पहला जहाज, जिसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है। इसमें सहनशक्ति, समुद्र में स्थिरता और स्टील्थ के लिए उन्नत विशेषताएं हैं, जो स्वदेशी युद्धपोतों की अगली पीढ़ी को प्रतिबिंबित करती हैं।
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