June 19, 2025

भारत की प्रथम सनदी मुस्लिम महिला शिक्षिका ‘फ़ातिमा शेख’

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Fatima Shaikh

भारत की प्रथम सनदी मुस्लिम महिला शिक्षिका ‘फ़ातिमा शेख’

किसी भी व्यक्ति के जीवन को आकार देने के काम माता-पिता के अलावा एक शिक्षक का भी योगदान होता है। हमारे देश में शिक्षक को गुरु माना जाता है। जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन और सहायता प्रेरक साबित होती है। अनेक छात्रों के भविष्य को गढ़ने का काम अनेक शिक्षकों द्वारा किया जाता है। उनके दिये हुए योगदान के प्रति कृतार्थभाव व्यक्त करने के लिए हर साल 5 सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि, फातिमा शेख जैसी प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका का नाम इतिहास से हटाने की कोशिश की गई।

फातिमा शेख ने समाज सुधारक बनकर महिलाओं को सामाजिक शोषण से मुक्त करने व उनके समान शिक्षा व अवसरों के लिए पुरजोर प्रयास किया। शिक्षण के प्रति समाज में जागृति हो, इस उद्देश्य से जिन लोगों ने सत्कार्य किया। उनमें से एक है फातिमा शेख! जिन्होंने सावित्रीबाई फुले के साथ लड़कियों को शिक्षित करने का कार्य किया। जिन्हें विशेष रुप से प्रसिद्धि नहीं मिली। ऐसी वंचितों की आवाज बुलंद करने वाली फातिमा शेख का जन्म 9 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। फ़ातिमा जी की 194 वीं जयंती है। उनके कार्य को (9 जनवरी 2025) उनके जन्मदिन के अवसर पर उजागर करता यह विशिष्ट लेख…

IMG-20250109-WA0010-300x156 भारत की प्रथम सनदी मुस्लिम महिला शिक्षिका ‘फ़ातिमा शेख’

समाजसुधारक एवं स्त्रियों को शिक्षित करने की शुरुआत करनेवाली महिला के रूप में सावित्रीबाई फुले से हम सभी परिचित हैं। महाराष्ट्र के स्त्री शिक्षण के शुरुआती दौर में उनके पति ज्योतिराव फुले सहित उन्होंने बड़ी कामगिरी की। स्त्री शिक्षण का प्रसार करके भारत की प्रथम मुख्याध्यापिका के रूप में इतिहास के पन्नों पर उन्होंने अपनी पहचान बनाई।

जिस तरह से स्त्री शिक्षण का नाम लेते ही सावित्रीबाई का स्मरण होता है, ठीक उसी तरह मुस्लिम स्त्री शिक्षण का नाम लेते ही फातिमा शेख का नाम अग्ररूप से लिया जाना चाहिए। उस वक्त की प्रतिकूल सामाजिक, धार्मिक परिस्थिति में एक मुस्लिम स्त्री ने शिक्षण के कार्य के लिए घर के बाहर निकलना यह बहुत ही साहस की बात थी। सावित्रीबाई की जिद और मेहनत देखकर फातिमा आपा (दीदी) ने भी उनके साथ स्त्री शिक्षण का कार्य शुरु किया। स्त्रियों को शिक्षित करने के कार्य में सावित्रीबाई को फातिमा ने बहुमूल्य सहयोग दिया। उन्हें प्रभुत्वशाली वर्गों के भारी प्रतिरोध का सामना भी करना पड़ा था। इसके बावजूद फातिमा शेख और उनके सहयोगियों ने सत्यशोधक आंदोलन जारी रखा और वह सत्यशोधक आंदोलन का भी हिस्सा बनकर रहीं। भारत सरकार ने वर्ष 2014 में फातिमा आपा को पहचान दी और उनकी कहानी ‘उर्दू पाठ्यपुस्तकों’ में शामिल किया और वर्ष 2022 में उनकी 191वीं जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया था। उन्होंने बहुजनों की दुर्गति को बहुत ही निकट से देखा था। उन्हें पता था कि बहुजनों के इस पतन का कारण शिक्षा की कमी है, इसीलिए वह चाहती थीं कि, बहुसंख्य लोगों के घरों तक शिक्षा का प्रचार प्रसार होना चाहिए। विशेषतः वे लड़कियों की शिक्षा के प्रबल पक्षधर थीं, इसका आरंभ उन्होंने अपने घर से ही किया। फातिमा शेख के ज़माने में लड़कियों की शिक्षा में अनेकों रुकावटें थीं। ऐसे ज़माने में उन्होंने स्वयं शिक्षा प्राप्त की। दूसरों को पढ़ना-लिखना सिखाया। वो शिक्षा देने वाली पहली मुस्लिम महिला थीं, जिन के पास शिक्षा की सनद थी।

आगे चलकर शिक्षित होने के पश्चात फातिमाजी ने प्रथम महिला मुस्लिम शिक्षिका होने का सम्मान प्राप्त किया। जिस समय भारत में बहुसंख्य लोग शिक्षा से वंचित थे, लड़कियों को तो शिक्षा का हक़ था ही नहीं। बहुजनों के पतन का कारण शिक्षित न होना ही था। यदि उन्हें शिक्षित किया जाए तो यह चित्र बदल सकता है, ऐसा उन्हें पूर्ण विश्वास था। अधिककांश लोगों के घरों तक जाकर शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने तथा विशेषत: ज्योतिबा फुले लड़कियों को शिक्षित करने के लिए बहुत आग्रही थे। इसका शुभारंभ उन्होंने अपने घर से ही किया। उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को शिक्षित किया। उसके पश्चात शिक्षा के प्रचार कार्य की शुरुआत की। मात्र इस कार्य के लिए सभी ओर से हुए कड़े विरोध का सामना उन्हें करना पड़ा, विरोध होने लगा।

1 जनवरी 1848 में पुणे के बुधवार पेठ के भिडे बाडा में महात्मा फुले ने लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल स्थापित किया। उस समय केवल छह लड़कियों ने स्कूल में प्रवेश लिया था। मगर महात्मा फुले के पिता गोविंदराव को लोगों ने धमकाना शुरु किया। लोगों ने उनसे कहा कि, यह स्कूल बंद करवाओं वरना हम आपको आपके पुत्र (ज्योतिबा) को समाज से बहिष्कृत कर देंगे। ऐसी स्थिति में भी ज्योतिबा ने अपने निर्णय पर बने रहकर शिक्षा देने का कार्य जारी रखा तब गोविंदराव ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। ऐसे में ज्योतिबा के नज़दीकी मित्र उस्मान शेख उनकी मदद के लिए आगे आए। उन्होंने गंजपेठ स्थित अपने घर में फुले दम्पत्ति को सिर्फ रहने के लिए जगह ही नहीं दी बल्कि संसार उपयोगी हर चीज दे दी। फातिमा, उस्मान शेख की बहन थीं। फुले दम्पत्ति ने जब शिक्षिका तैयार करने के लिए स्कूल शुरू किया तब उस स्कूल में दाखिला लेने वाली तथा उस स्कूल से प्रशिक्षित होकर प्रथम शिक्षिका बनने वाली फातिमा ही थीं जो महाराष्ट्र की प्रथम प्रशिक्षित मुस्लिम शिक्षिका के रूप में जानी गईं। फातिमा ने सावित्रीबाई के साथ शिक्षिका के रूप में उत्तम कार्य किया, इसका संदर्भ डॉ. मा. गो. माली लिखित ‘महात्मा फुले गौरवग्रंथ’ के पेज क्रमांक 47 पर दिया गया है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि, संकुचित दृष्टि रखने वाले लोगों ने फातिमाजी के कार्य को प्रकाश में आने नहीं दिया। इतिहास में महाराष्ट्र की पहली महिला शिक्षिका के रूप में उनका नाम उजागर नहीं होने दिया। फातिमाजी की स्मृति को कायम रखने के लिए हमें प्रयास करना होगा। जैसे कि, समाज में कार्यरत शैक्षणिक व सामाजिक संस्थांओं ने पहल करके दसवीं-बारहवीं कक्षा की परीक्षा में प्रथम क्रमांक से उत्तीर्ण होने वाली छात्राओं को उनके नाम से पुरस्कार घोषित करना चाहिए।

स्त्री शिक्षण के संदर्भ में आज के समय में कहीं भी विरोध नहीं है, अब उतना विरोध नहीं होता। सभी समाज-धर्म-पंथ-की लड़कियां-स्त्री शिक्षित हो रही हैं। सद्यस्थिति में विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पद पर स्त्रियां विराजमान होकर पूर्ण जिम्मेदारी से अपना कर्तव्य निभा रही हैं। आज अनेक मुस्लिम महिला शिक्षित होकर महत्वपूर्ण पद पर विभिन्न क्षेत्रों जैसे, वैद्यकीय, वकील, पत्रकारिता, शिक्षण आदि सभी क्षेत्रों में यशस्वीरूप से कार्य कर रही हैं। आज जो भी महिलाएं शिक्षित होकर अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं, उस शिक्षा का पौधा आज से लगभग 200 वर्ष पहले फातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले ने रोपित किया, जिसका आज विशाल बरगद सा पेड़ हो गया है तथा सभी महिला वर्ग शिक्षित हो रही हैं। फातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले को इस कार्य के लिए भूल पाना असंभव ही है। आज उनके जन्मदिन (जयंती) के अवसर पर प्रथम भारतीय मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख को विनम्र अभिवादन!

Ashif-Shaikh-233x300 भारत की प्रथम सनदी मुस्लिम महिला शिक्षिका ‘फ़ातिमा शेख’लेखक- आरिफ आसिफ शेख,
पुणे, मो. 9881057868

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