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कुदरत के भक्षकों ने प्रकृति के क्षरण का किया कृत्य अत्यंत कष्टकारी : डॉ. अनिल पाटिल

कुदरत के भक्षकों ने प्रकृति के क्षरण का किया कृत्य अत्यंत कष्टकारी : डॉ. अनिल पाटिल

कुदरत के भक्षकों ने प्रकृति के क्षरण का किया कृत्य अत्यंत कष्टकारी : डॉ. अनिल पाटिल

कुदरत के भक्षकों ने प्रकृति के क्षरण का किया कृत्य अत्यंत कष्टकारी : डॉ. अनिल पाटिल

हड़पसर, दिसंबर (हड़सपर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
हड़पसर से सटे कानिफनाथ गढ़ और रम्यनगरी सातव नगर में वन विभाग में प्रकृति प्रेमियों द्वारा लगाए गए पेड़ों और मानसून से निर्माण हुई हरियाली को कुदरत के भक्षकों ने आग लगा दी। प्रकृति को कुरेदने का बहुत ही घृणास्पद तरीका देखने को मिल रहा है। इस हादसे से प्रकृति प्रेमियों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है।

जबकि प्रकृति हमें बहुत कुछ प्रदान कर रही है, तो हमें भी प्रकृति के लिए कुछ करना चाहिए। इसी भावना से प्रकृति प्रेमी सदैव पेड़-पौधे लगाने और प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। यदि इस आग में हर नए लगाए गए पेड़ को जला दिया जाएगा तो कितने सरीसृपों प्राणियों का इस आग में अंत हो जाने की बात भी प्रकृति प्रेमियों के दिलों को कचोटती रहेगी।

कानिफनाथ गढ़ पर कई प्रकृति प्रेमी हर रविवार को पौधे लगा रहे हैं और उन्हें पानी देकर उनका पालन-पोषण कर रहे हैं। एक एक पौधे को जीवित रखने के लिए प्रकृति प्रेमी कड़ी मेहनत करते हैं। प्रकृति का यह क्षरण अत्यंत कष्टकारी है। आज प्रकृति को बचाने के लिए विभिन्न गतिविधि चलाई जा रहे हैं, लेकिन आज के कृत्य ने प्रकृति के जख्म और बढ़ा दिए हैं। यह भावना प्रकृति प्रेमी डॉ. अनिल पाटिल और गंगा विलेज सोसाइटी के चेयरमैन श्री योगेंद्र गायकवाड ने व्यक्त किए।

इसके अलावा ट्रैकिंग प्रेमी जो कानिफनाथ गढ़ पर ट्रैकिंग पर जाने के साथ ही पौधे लगाकर उनका पालन-पोषण करनेवाले श्री दिलावर शेख, श्री मधुकर जगताप, नीता जमदाडे, श्री रामचंद्र दास, श्री विष्णु अष्टेकर, वर्षा अनिल पाटिल, अमिता सुतार, श्री निलेश खंडालकर, ममता सुतार, अश्विनी हरणवाल, रेणु चोप्रा इन प्रकृति प्रेमियों ने इस प्रकृति को कुरेदने को लेकर बेहद दुखद दुख व्यक्त किया। इसके अलावा प्रकृति प्रेमियों ने प्रकृति के विरुद्ध ऐसा कृत्य करनेवालों की निंदा की।

पथरीली जमीन पर हमने हरित क्रांति की नींव रखी थी। नीचे से ऊपर पहाड़ों पर पानी ले जाकर छोटे-छोटे पौधों को पेड़ में तब्दील करने का हमने बीड़ा उठाया था। छोटे नन्हें बच्चों की परवरिश करने के समान हमने उन पौधों को संरक्षित किया था। आग की घटना का कृत्य सुनकर हमारी आंखों से आंसू ही सूख गए। कुदरत के भक्षकों ने प्रकृति को कुरेदने का बहुत ही घिनौना काम किया है। प्रकृति के प्रति कोई इतना भी पत्थरदिल कैसे हो सकता है। प्रकृति से प्यार का रिश्ता तभी कायम हो पाएगा जब हम उससे गहरा रिश्ता बनाएंगे। प्रकृति स्वस्थ होगी तो हम स्वस्थ रहेंगे। यह भावना प्रकृति प्रेमी डॉ. अनिल पाटिल ने व्यक्त की।

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