संस्कृति मंत्रालय ने कला और संस्कृति के माध्यम से भारत को एकजुट करने के लिए एक भव्य उत्सव ‘अमृत परम्परा’ नामक एक विशेष उत्सव श्रृंखला प्रस्तुत की
संस्कृति मंत्रालय ने कला और संस्कृति के माध्यम से भारत को एकजुट करने के लिए एक भव्य उत्सव ‘अमृत परम्परा’ नामक एक विशेष उत्सव श्रृंखला प्रस्तुत की
संस्कृति मंत्रालय को अमृत परम्परा नामक एक विशेष उत्सव श्रृंखला की शुरुआत की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है। यह कला और संस्कृति के माध्यम से भारत को एकजुट करने का एक भव्य उत्सव है। अमृत परम्परा का उद्देश्य आधुनिक पैकेजिंग और प्रौद्योगिकी आधारित संवाद और स्थायी अनुभवों के साथ पारंपरिक कला रूपों पर आधारित अभिनव कार्यक्रमों की प्रस्तुति द्वारा प्रदर्शन कला, दृश्य कला और साहित्य में लुप्त हो रही कला रूपों और परंपराओं पर विशेष ध्यान देते हुए भारत की पारंपरिक कलाओं और कला रूपों का उत्सव मनाना है। निकट भविष्य में दिल्ली के विभिन्न स्मारकों और स्थानों पर अमृत परम्परा अभियान के तहत कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की योजना बनाई गई है।
अमृत परम्परा श्रृंखला के तहत पहला कार्यक्रम ‘कावेरी का गंगा से संगम’ है। यह दक्षिण भारत की नृत्य और संगीत परंपराओं को उत्तर भारत में ला रहा है और इसमें एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के अनुरूप उत्तर भारत की कलात्मक परंपराओं को भी प्रदर्शन किया जा रहा है। संस्कृति मंत्रालय के स्वायत्त संस्थान संगीत नाटक अकादमी, कलाक्षेत्र और सीसीआरटी संयुक्त रूप से कावेरी का गंगा से संगम कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं
2 नवंबर 2024 को कर्त्तव्य पथ और सीसीआरटी द्वारका सहित प्रमुख स्थानों पर शुरू होने वाले इस महोत्सव में भारत के लोक और पारंपरिक कला रूपों को प्रदर्शन किया जाएगा। ‘कावेरी का गंगा से संगम’ प्रसिद्ध मार्गाज़ी महोत्सव का सम्मान है। इस महोत्सव का आयोजन तमिल कैलेंडर के मार्गाज़ी महीने के दौरान चेन्नई, तमिलनाडु में किया जाता है।
2 से 5 नवंबर तक कर्त्तव्य पथ और सीसीआरटी परिसर में आयोजित होने वाले ‘कावेरी का गंगा से संगम’ कार्यक्रम में पारंपरिक प्रस्तुतियों की एक विशेष श्रृंखला होगी। इस कार्यक्रम में दर्शक ब्रज के नगर संकीर्तन और गोवर्धन पूजा से लेकर आंध्र प्रदेश के कुचिपुड़ी, प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा भरतनाट्यम और केरल के पंचवाद्यम और थेय्यम जैसी लोक परंपराओं का आनन्द लेंगे।
बांसुरी पर राकेश चौरसिया और सरोद पर उस्ताद अमजद अली खान जैसे प्रसिद्ध संगीतकारों द्वारा शानदार प्रस्तुतियां, रेंजिनी गायत्री द्वारा कर्नाटक गायन, रमा वैद्यनाथन और मीनाक्षी श्रीनिवासन द्वारा भरतनाट्यम, कलाक्षेत्र चेन्नई द्वारा सिम्फनी इस उत्सव को भारत की सांस्कृतिक विविधता का यादगार उत्सव बनाएंगे।
वर्ष 2024 में भारत के लौहपुरुष सरदार पटेल की 150वीं जयंती के दो वर्षीय स्मरणोत्सव की भी शुरुआत होगी । यह उत्सव उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों और एकता की भावना का प्रमाण होगा जिसके वे प्रतीक थे। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश की पहचान इसकी संस्कृति की बहुलता और विविधता से होती है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट संस्कृति है। ये विशिष्ट संस्कृतियां सरदार पटेल के विजन की तरह ही भारत की संस्कृति को आपस में जोड़ती हैं।
भारत के माननीय विदेश मंत्री श्री डॉ. एस. जयशंकर भारत के इस समृद्धि सांस्कृतिक उत्सव में प्रतिष्ठित कलाकारों और गणमान्य व्यक्तियों के साथ शामिल होंगे।
2 नवंबर 2024 को कर्तव्य पथ और सीसीआरटी के उद्घाटन दिवस की मुख्य विशेषताएं :
अमृत परम्परा श्रृंखला को चार प्रमुख स्तंभों-भारतीय संस्कृति की नींव, सांस्कृतिक शिक्षा और मनोरंजन का मिश्रण, विविध विचारों का संकलन और बहु-संवेदी अनुभव के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत की निरंतरता को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
प्रत्येक प्रदर्शन कला रूपों और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों द्वारा इस प्रतिबद्धता का उत्सव मनाएगा जो भारत की कालातीत भावना को दर्शाता है। अपने व्यापक, प्रौद्योगिकी-संचालित दृष्टिकोण के साथ, अमृत परम्परा दर्शकों को एक अभिनव और बहु-संवेदी अनुभव प्रदान करेगी। यह पारंपरिक कलात्मकता का आधुनिक समय की प्रस्तुति के साथ मिश्रण होगा।
कर्त्तव्य पथ और सीसीआरटी में हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव मना रहे हैं। इस उत्सव में हमारी कलात्मक एकता और विविधता को दर्शाया जाएगा। अमृत परम्परा महोत्सव कला, इतिहास और नवाचार को एक साथ लाने वाला एक अविस्मरणीय अनुभव होगा।
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