हड़पसर सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर रहा है सांस्कृतिक भूख को संतुष्ट करने का कार्य : डॉ. अमोल कोल्हे

हड़पसर सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर रहा है सांस्कृतिक भूख को संतुष्ट करने का कार्य : डॉ. अमोल कोल्हे

हड़पसर सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर रहा है सांस्कृतिक भूख को संतुष्ट करने का कार्य : डॉ. अमोल कोल्हे

हड़पसर सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर रहा है सांस्कृतिक भूख को संतुष्ट करने का कार्य : डॉ. अमोल कोल्हे

हड़पसर, नवंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
विभिन्न सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से गरीबों और वंचितों की सेवा करने के साथ-साथ लगातार सात दिनों तक चलनेवाले दिवाली सुबह संगीत समारोह के माध्यम से हड़पसरवासियों के साथ ही परिसर के श्रोतागणों की सांस्कृतिक भूख को संतुष्ट करने में प्रतिष्ठान की भूमिका बेहद सराहनीय और प्रेरणादायक है। यह विचार संसदरत्न डॉ. अमोल कोल्हे ने व्यक्त किए।

हड़पसर सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान की ओर से स्व. बा. श्री तुपे और स्व. अशोकराव बापूसाहेब मगर की स्मृति में दिया जानेवाला त्रिनेत्र पुरस्कार सहकारिता और बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ विद्याधर अनासकर व हड़पसर स्थित नोबल अस्पताल के निदेशक डॉ. मारुति आबनावे को स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनोहर चासकर के शुभ हाथों प्रदान किया गया, तब डॉ. अमोल कोल्हे बोल रहे थे। इसके अलावा श्री चंद्रकांत मगर की स्मृति में सिद्धि बनपट्टे और ओंकार बनसोडे को भी शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की गई। इस अवसर पर यहां योगेश टिलेकर, बालासाहेब शिवरकर, जगन्नाथ शेवाले, उद्यमी दशरथ जाधव, प्रशांत तुपे, निलेश मगर, अविनाश तुपे, नाझीम शेख, रामदास तुपे व प्रतिष्ठान के विश्वस्त उपस्थित थे।

इस अवसर पर उन्होंने यह भावना भी व्यक्त की कि दीपावली पर्व की खुशियां समाज के अंतिम स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रतिष्ठान द्वारा किये जा रहे प्रयास निश्चित ही अनुकरणीय हैं।
यह प्रतिष्ठान लगातार अठारह वर्षों से विभिन्न माध्यमों से समाज के विभिन्न वर्गों के लिए कार्य कर रहा है। किसी कार्य को शुरू करना और उसे लगातार अठारह वर्षों तक जारी रखना अत्यंत कठिन है। यह भावना स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनोहर चासकर ने व्यक्त की।

प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री निलेश मगर ने प्रतिष्ठान द्वारा जारी गतिविधियों की जानकारी दी। प्रतिष्ठान की ओर से निर्माण किया गया सांस्कृतिक सभागृह हड़पसर के सांस्कृतिक व सामाजिक विकास को निश्चित रूप से योगदान देगा। यह विश्वास उन्होंने व्यक्त किया।
उक्त महोत्सव में शमीमा अख्तर के अभंग, गज़ल, लावणी, सूफी आदि गीतें, जयश्री कुलकर्णी, प्रज्ञा देशपांडे, अजीत जोशी, मीनल पोंक्षे, डॉ. राजेंद्र दूरकर द्वारा मराठी फिल्मों के गीत, पार्श्वगायक ज्ञानेश्वर मेश्राम ने अभंग व फ़िल्मों के गीत, डॉ. भावार्थ देखणे का बहुरूपी भारुड, मिटसु बर्धन ने लतादीदी के गीत, जितेंद्र भुरूक ने किशोरदा के गीत प्रस्तुत किए।

हड़पसर की सांस्कृतिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए मैं हड़पसर का भूमिपुत्र होना पसंद करता हूं। सहकारिता की यह पूँजी अपनी माँ से मिली। सहयोग के सिद्धांत पर मां के द्वारा शुरू किए गए लिज्जत पापड़ का व्यवसाय या ससा डिटर्जेंट मेरे जीवन की मुख्य प्रेरणा रहा है, इसलिए आज यह पुरस्कार स्वीकार करते हुए मुझे अपनी मां की बहुत याद आ रही है। यह भावना सहकारिता और बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ विद्याधर अनासकर ने व्यक्त की।

प्रतिष्ठान द्वारा दिया गया त्रिनेत्र पुरस्कार भविष्य में इस क्षेत्र में काम करने के लिए निश्चित ताकत देगा। यह बहुत खुशी की बात है कि मैं जीवन भर उस मातृभूमि के लोगों की सेवा कर सका, जिस मातृभूमि ने बनाया है। मैंने गरीब इंसानों की सेवा की भावना से एक धर्मार्थ ओपीडी शुरू की। इसी प्रेरणा से नोबल हॉस्पिटल खड़ा हुआ, एक निदेशक के रूप में इसमें भाग लेना निश्चित रूप से खुशी की बात है। यह विचार डॉ. मारुति आबनावे ने व्यक्त किए।
कार्यक्रम का सूत्र-संचालन प्रा. नितिन लगड और आभार प्रदर्शन अविनाश तुपे ने किया।

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