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डॉ. विजय कुमार वेदालंकार की ‘व्यावहारिक अध्यात्म’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण

डॉ. विजय कुमार वेदालंकार की ‘व्यावहारिक अध्यात्म’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण

डॉ. विजय कुमार वेदालंकार की ‘व्यावहारिक अध्यात्म’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण

डॉ. विजय कुमार वेदालंकार की ‘व्यावहारिक अध्यात्म’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण

सोनीपत, अक्टूबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
गांधी जयंती पर गुरुनानक कॉलेज में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में हिंदी काव्य शास्त्र के विद्वान डॉ. विजय कुमार वेदालंकार की सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘व्यावहारिक अध्यात्म’ का लोकार्पण किया गया। विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. वेदालंकार ने अध्यात्म की व्यावहारिकता पर अपने विचार रखे।

उन्होंने कहा कि अध्यात्म ने मनुष्य के जीवन को व्यापक और घनिष्ट रूप से प्रभावित किया है। अध्यात्म के क्लिष्ट ग्रंथ आज के व्यक्त मानव की ग्रहक शक्ति के बाहर हैं, किंतु जब दृष्टांत के रूप में उन्हें सांसारिक वस्तुओं के माध्यम से समझा जाता है तो अध्यात्म ज्ञान मस्तिष्क में अंकित हो जाता है। आज के पढ़े-लिखे नवयुवकों को पुरानी संत और ऋषियों की रुढ़ि पद्धति व्यस्त अध्यात्म विद्या रुचिकर नहीं लगती। उन्हें ब्रह्म विद्या सरल और आधुनिक ढंग से समझाने के के लिए ही इस पुस्तक का प्रणयन किया गया है।

IMG-20241002-WA0528-300x225 डॉ. विजय कुमार वेदालंकार की ‘व्यावहारिक अध्यात्म’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण
गोष्ठी की अध्यक्षाता हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. नरेश मिश्र ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि मन के वांक्षित लक्ष्य पर पहुँच कर अधात्म की चरम उपलब्धि में आनंद की अनुभूति होती है। ऐसे में मनुष्य का मानवतावादी आदर्श व्यक्तित्व सर्व प्राणी- अनुरागी, जगन्नियंता जगदीश्वर का कृपा पात्र बन जाता है।

डॉ. अर्चना आर्य ने कहा कि अध्यात्म मूलत: एक जीवन दृष्टि है जो सब प्रकार की धार्मिक, भौगोलिक एवं व्यक्तिगत विशेषताओं के बीच लहराती रहती है। गोष्ठी का संचालन वैश्य कालेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. उन्मेष मिश्र ने किया।
इसके अतिरिक्त गोष्ठी में भाग लेने वालों में श्री वी.पी. सिंह, डॉ. सावित्री मिश्र, डॉ. जयंती और डॉ. सुरेश बूरा प्रमुख रहे।

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