रसायनों के अधिक उपयोग के कारण दैनिक भोजन पर हो रहा है असर : विकास दांगट
रसायनों के अधिक उपयोग के कारण दैनिक भोजन पर हो रहा है असर : विकास दांगट
लोनी कालभोर, अक्टूबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
कृषि प्रधान भारत में किसानों ने पारंपरिक खेती को अब पीछे छोड़ दिया है। हालाँकि हरित क्रांति के बाद देश में खाद्यान्न उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन किसानों द्वारा कीटनाशकों और रसायनों के बढ़ते उपयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता में गिरावट आई है। मानवीय हस्तक्षेप के कारण भी भूजल प्रदूषित हो रहा है, जिसका असर दैनिक भोजन की गुणवत्ता पर पड़ता है। वर्तमान समय में मिट्टी और पानी भोजन की गुणवत्ता को कम करने के मुख्य शत्रु बनते जा रहे हैं। यह विचार एसवी ग्रुप के चेयरमैन एवं उद्यमी विकास दांगट ने व्यक्त किये।
विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर एमआईटी यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी, विश्वराजबाग, पुणे के स्कूल ऑफ फूड टेक्नोलॉजी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में वे बोलते हुए। इस अवसर पर एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी की कार्यकारी निदेशक प्रो.डॉ. सुनीता कराड, इन विरो केयर लैब के प्रबंध निदेशक डॉ. नीलेश अमृतकर, रजिस्ट्रार डॉ.महेश चोपड़े, प्रभारी प्राचार्य डॉ.अंजलि भोईटे, डॉ.संगीता फुंडे, डॉ.सुजाता घोडके, डॉ. अशोक तोडमल, डॉ. रिंकू अग्रवाल एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे। इन विरो केयर लैब के प्रबंध निदेशक डॉ. नीलेश अमृतकर ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, दुनिया की हर डाइनिंग टेबल पर कम से कम एक भारतीय व्यंजन होना चाहिए; हमें इतनी बड़ी खाद्य क्रांति की पहल करनी चाहिए। इसके लिए विभिन्न प्रकार के भोजन पर नए शोध करना और अपने छात्रों को इसके लिए प्रोत्साहित करना बहुत आवश्यक है। अध्यक्षीय भाषण में बोलते हुए एडीटी यूनिवर्सिटी की कार्यकारी निदेशक प्रो.डॉ. सुनीता कराड ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन समय की मांग है कि कृषि को अर्थव्यवस्था से जोड़ा जाए। इसके साथ ही वैज्ञानिकों को कृषि एवं खाद्य गुणवत्ता बढ़ानेवाले उत्पादों एवं बीजों पर शोध के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भविष्य को ध्यान में रखते हुए किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, भले ही एक बार की आय थोड़ी कम हो जाए। इस वर्ष का विश्व खाद्य दिवस एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मनाया गया, जिसमें फूड स्टॉल, अनुसंधान प्रतियोगिता, पोस्टर प्रदर्शनी सूची आदि शामिल थे।
कार्यक्रम का प्रास्ताविक प्राचार्या डॉ. डॉ.अंजलि भोईटे ने और आभार प्रदर्शन डॉ. सुजाता घोडके ने किया।
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