महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे द्वारा ज्ञानदा का किया गया आयोजन
महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे द्वारा ज्ञानदा का किया गया आयोजन
पुणे, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे के केंद्रीय कार्यालय में ‘हिंदी सप्ताह’ के उपलक्ष्य में संस्था की कार्याध्यक्ष डॉ. नीला बोर्वणकर की अध्यक्षता में ‘ज्ञानदा’ के अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन किया गया था।
संस्था के उपाध्यक्ष एवं ज्येष्ठ अनुवादक समीक्षक डॉ. गजानन चव्हाण ने डॉ. आनंदप्रकाश दीक्षित के रचना संसार से परिचित कराया। डॉ. दीक्षित के साहित्य के विविध अंगों की जानकारी मिली। उनका कहना था कि जो आपको अच्छा लगता है उसी का अनुवाद करना चाहिए। व्याख्यान बहुत ही सुंदर एवं ज्ञानदायी रहा।
रस सिद्धांत विषय पढ़ाने में उनका विशेष प्रभुत्व था। उनकी सुविद्य बेटी डॉ. मधुरिमा दीक्षित भी उपस्थित थी। उन्होंने पारिवारिक यादों को उजागर किया। उनकी अंतिम सांस तक वे सात पुस्तकों का समीक्षण कर रहे थे।
उनके छात्र श्री उद्धव महाजन एवं श्रीमती इंदिरा पूनावाला ने भी उनके अध्यापन के विविध अनुभव कथन किए।
कार्याध्यक्ष डॉ. नीला बोर्वणकर ने कहा कि दीक्षित ने मुझे कहा था बहिर्मुख की अपेक्षा अंतर्मुख बनो, बहिर्मुख हो जाने से इंसान अपनी प्रतिभा खो देता है।
कार्यक्रम का प्रास्ताविक, स्वागत एवं अतिथि महोदय का परिचय संस्था के सचिव प्रा. रविकिरण गलंगे ने किया। सूत्र संचालन ज्ञानदा की प्रबंधक सुश्री सुनेत्रा गोंदकर ने तो आभार ज्ञापन ग्रंथपाल श्री प्रदीप जोशी ने व्यक्त किए। कार्यक्रम बहुत ही श्रवणीय रहा।
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