52 वर्ष बाद मित्रों का हुआ मिलन; पुराने एसएससी ग्यारहवां मैत्री मिलन समारोह हर्षोल्लास से मनाया
52 वर्ष बाद मित्रों का हुआ मिलन; पुराने एसएससी ग्यारहवां मैत्री मिलन समारोह हर्षोल्लास से मनाया गया
पुणे, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
भीमथडी शिक्षा संस्था, दौंड के शेठ ज्योति प्रसाद विद्यालय के 1972 बैच ए के छात्र दौंड केंद्र से उत्तीर्ण हुए थे। आगे की पढ़ाई के लिए वह अलग-अलग कॉलेजों में रुचि की ब्रांच में गए। कला, वाणिज्य, विज्ञान, कृषि, पॉलिटेक्निक में प्रवेश लिया गया।
नौकरी, बिजनेस के कारण उनकी मुलाकात नहीं हो पाती थी। किशोर गायकैवारी ने सभी से संपर्क और समन्वय किया। पुराने मित्रों को एक साथ लाने में श्री नरेश तारे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, साथ ही पूरे कार्यक्रम के लिए जगह उपलब्ध कराने, अच्छे भोजन की व्यवस्था करने में उनकी पत्नी, पुत्र निखिल और बहु धनश्री ने सभी का तहेदिल से स्वागत किया।
कवि बाबू डिसूजा ने अपनी एक कविता बालमित्र इस अवसर पर प्रस्तुत की। सभी ने खुलकर बात की। सभी ने जीवन में आनेवाली कठिनाइयों, मुश्किलें, जीवन में उतार-चढ़ाव, सुख-दुख, अलगाव, बाहर निकलने के प्रयास, बीमारियों पर काबू पाने के बारे में अपनी अपनी आपबीती सुनाई। उस पल हर कोई अभिभूत, भावुक और संवेदनशील हो गए थे। थोड़ी देर के लिए सब चुप हो गए थे। नामदेव गाडीलकर, बच्चू परमार और निलीमा शिकारखाने ने दोस्तों के लिए जो उपहार लाए थे, वे अद्भुत थे।
इस अवसर पर शब्बीर शेख, अनिल वैद्य, बच्चू परमार, डॉ.धीरेंद्र मोहन, सिद्धार्थ कामाठी, नामदेव गाडीलकर, नरेश तारे, सुधीर देशपांडे, सुनील लोणकर, उदय शहा, प्रदीप देशपांडे, बाबू डिसोजा, विजय जगदाले ने अपने अनुभव सबके साथ साझा किए।
हमारी पहली मुलाकात में शामिल होना बहुत अद्भुत लगा। यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि हम सभी ने अपनी समस्याओं को एक तरफ रख दिया और इसमें भाग लिया। मैं सबकी प्रगति सुनकर संतुष्ट हुआ। हम सभी ने उन लोगों की कमी को महसूस किया है जो नहीं आ सके, अगली बार एक-दूसरे से हम जरूर वापस मिलेंगे।
– सुधीर देशपांडे
सभी लोगों ने बहुत उत्साह में आकर खुलकर अपने विचार व्यक्त किए। यह बहुत अच्छा लगा और यह देखकर बहुत खुशी हुई कि 50/52 वर्षों के बाद भी हम सभी के बीच अभी भी स्कूल जीवन जितनी मजबूत दोस्ती है। आज पूरा दिन सचमुच आनंददायक था और हम सब तरोताजा हो गए हैं।
– किशोर गायकैवारी
सबको शुभकामनाएं। किसी भी समय, कहीं भी, अगर किसी को कोई चिकित्सीय आपात्काल महसूस हो तो मुझसे संपर्क करें। मैं जरूर मदद करूंगा।
– डॉ. धीरेंद्र मोहन (मोहन हॉस्पिटल, केडगांव, दौंड)
आज का कार्यक्रम निश्चित ही बड़ा यादगार है। आगे भी इस तरह से हम मिलते रहेंगे।
– इंजीनियर, सिद्धार्थ कामाठी (सोलापुर)
हमारी पहली मुलाकात बहुत अच्छी रही। सभी लोग बहुत खुशी से एक साथ आए और अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इससे दिल खुश हो गया। उन्होंने एक-दूसरे को अलविदा कहते हुए अधिक दोस्तों को लाने के लिए फिर से मिलने का फैसला किया जो आज मौजूद नहीं थे।
– अनिल वैद्य (व्यवसायिक, दौंड)
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