मन की बात की 112वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ (28.07.2024)
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में आपका स्वागत है, अभिनंदन है। इस समय पूरी दुनिया में Paris Olympics छाया हुआ है। Olympics, हमारे खिलाड़ियों को विश्व पटल पर तिरंगा लहराने का मौका देता है, देश के लिए कुछ कर गुजरने का मौका देता है। आप भी अपने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाइए, Cheer for Bharat!!
साथियो, Sports की दुनिया के इस Olympics से अलग, कुछ दिन पहले maths की दुनिया में भी एक Olympic हुआ है। International Mathematics Olympiad. इस Olympiad में भारत के students ने बहुत शानदार प्रदर्शन किया है। इसमें हमारी टीम ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए चार Gold Medals और एक Silver Medal जीता है। International Mathematics Olympiad इसमें 100 से ज्यादा देशों के युवा हिस्सा लेते हैं और Overall Tally में हमारी टीम top five में आने में सफल रही है। देश का नाम रोशन करने वाले इन students के नाम हैं –
पुणे के रहने वाले आदित्य वेंकट गणेश, पुणे के ही सिद्धार्थ चोपरा , दिल्ली के अर्जुन गुप्ता, ग्रेटर नोएडा के कनव तलवार, मुंबई के रुशील माथुर और गुवाहाटी के आनंदो भादुरी।
साथियो, आज ‘मन की बात’ में मैंने इन युवा विजेताओं को विशेष तौर पर आमंत्रित किया है। ये सभी इस समय फोन पर हमारे साथ जुड़े हुए हैं।
प्रधानमंत्री जी :- नमस्ते साथियो। ‘मन की बात’ में आप सभी साथियों का बहुत बहुत स्वागत है। आप सभी कैसे हैं?
Students: – हम ठीक हैं सर।
प्रधानमंत्री जी :- अच्छा साथियों, ‘मन की बात’ के जरिए देशवासी आप सभी के experiences जानने को बहुत उत्सुक हैं। मैं शुरुआत करता हूँ आदित्य और सिद्धार्थ से। आप लोग पुणे में हैं, सबसे पहले मैं आप से ही शुरू करता हूँ। Olympiad के दौरान आपने जो अनुभव किया उसे हम सभी के साथ share कीजिए ।
आदित्य :- मुझे maths में छोटे से interest था। मुझे 6th standard Math ओमप्रकाश sir, मेरे Teacher ने सिखाया था और उन्होंने मेरे math में Interest बढ़ाया था, मुझे सीखने मिला और मुझे opportunity मिला था ।
प्रधानमंत्री जी :- आपके साथी का क्या कहना है ?
सिद्धार्थ :- sir, मैं सिद्धार्थ हूँ, मैं पुणे से हूँ। मैं अभी class 12th pass किया हूँ। ये मेरा second time था IMO में, मुझे भी छोटे से बहुत interest था Maths में और आदित्य के साथ जब मैं 6th में था ओमप्रकाश sir ने हम दोनों को train किया था और बहुत help हुआ था हमको और अभी मैं college के लिए CMI जा रहा हूं और Maths & CS pursue कर रहा हूं।
प्रधानमंत्री जी :- अच्छा मुझे बताया गया है कि अर्जुन इस समय गांधीनगर में हैं और कनव तो ग्रेटर नोएडा के ही हैं। अर्जुन और कनव, हमने, Olympiad को लेकर जो चर्चा की, लेकिन आप दोनों हमें अपनी तैयारी से जुड़ा कोई विषय, और कोई विशेष अनुभव, अगर बताएंगे, तो, हमारे श्रोताओं को अच्छा लगेगा।
अर्जुन :- नमस्ते Sir, जय हिन्द, मैं अर्जुन बोल रहा हूं।
प्रधानमंत्री जी :- जय हिन्द अर्जुन।
अर्जुन :- मैं दिल्ली में रहता हूं और मेरी mother श्रीमती आशा गुप्ता physics की professor हैं Delhi University में, और मेरे father, श्री अमित गुप्ता chartered accountant हैं। मैं भी बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ कि मैं अपने देश के प्रधानमंत्री से बात कर रहा हूँ, और सबसे पहले, मैं, अपनी सफलता का श्रेय, अपने माता-पिता को देना चाहूँगा। मुझे लगता है कि , जब एक परिवार में कोई सदस्य एक ऐसे competition की तैयारी कर रहा होता है तो, केवल वो सदस्य का संघर्ष नहीं होता पूरे परिवार का संघर्ष होता है। Essentially हमारे पास जो हमारा paper होते हैं उसमें हमारे पास तीन problems के लिए साढ़े चार घंटे होते हैं, तो एक problem के लिए डेढ़ घंटा – तो हम समझ सकते हैं कि कैसे हमारे पास एक problem को solve करने के लिए कितना समय होता है! तो हमें, घर पे, काफी मेहनत करनी पड़ती है। हमें problems के साथ घंटों लगाने पड़ते हैं, कभी-कभार तो एक एक problem के साथ, एक दिन, या यहां तक कि, 3 दिन भी लग जाते हैं। तो इसके लिए हमें online problems ढूँढ़नी होती हैं। हम पिछले साल की problem try करते हैं, और ऐसे ही, जैसे हम, धीरे-धीरे मेहनत करते जाते हैं, उससे हमारा experience बढ़ता है, हमारी सब से जरूरी चीज, हमारी problem solving ability बढ़ती है, जो, ना कि हमें mathematics में, बल्कि जीवन के हर एक क्षेत्र में मदद करती है।
प्रधानमंत्री: अच्छा मुझे कनव बता सकते हैं कि कोई विशेष अनुभव हो, ये सारी तैयारी में कोई खास जो हमारे नौजवान साथियों को बड़ा अच्छा लगे जानकर के।
कनव तलवार : मेरा नाम कनव तलवार है, मैं ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश में रहता हूँ और कक्षा 11वीं का छात्र हूँ। Maths मेरा पसंदीदा subject है। और मुझे बचपन से maths बहुत पसंद है। बचपन में मेरे पिता मुझे puzzles कराते थे। जिससे मेरा interest बढ़ता गया। मैंने Olympiad की तैयारी 7th Class से शुरू की थी। इसमें मेरी sister का बहुत बड़ा योगदान है। और मेरे parents ने भी हमेशा मुझे support किया। ये Olympiad HBCSE conduct कराता है। और ये एक 5 stage process होता है। पिछले साल मेरा team में नहीं हुआ था और मैं काफी करीब था और ना होने पर बहुत दुखी था। तब मेरे parents ने मुझे सिखाया कि या हम जीतते हैं या हम सीखते हैं। और सफर मायने रखता है सफलता नहीं। तो मैं यही कहना चाहता हूँ कि – ‘Love what you do and do what you love’। सफर मायने रखता है सफलता नहीं और हमें success मिलते रहेगा। अगर हम अपने subject से प्यार करें। और journey को enjoy करें।
प्रधानमंत्री: तो कनव आप तो mathematics में भी interest रखते हैं और बोलते हैं ऐसे जैसे आपको साहित्य में भी रुचि है !
कनव तलवार : जी सर ! मैं बचपन में debates और orating भी करता था।
प्रधानमंत्री: अच्छा अब आइए हम आनंदों से बात करते हैं। आनंदों, आप अभी गुवाहाटी में हैं और आपका साथी रुशील आप मुंबई में हैं। मेरा आप दोनों से एक question है। देखिये, मैं परीक्षा पे चर्चा तो करता ही रहता हूँ, और परीक्षा पे चर्चा के अलावा अन्य कार्यक्रमों में भी मैं students से संवाद करता रहता हूँ। बहुत से छात्रों को maths से इतना डर लगता है, नाम सुनते ही घबरा जाते हैं। आप बताइए कि maths से दोस्ती कैसे की जाए?
रुशील माथुर : सर ! मैं रुशील माथुर हूँ। जब हम छोटे होते हैं, और हम पहली बार addition सीखते हैं – हमें carry forward समझाया जाता है। पर हमें कभी ये समझाया नहीं जाता कि carry forward होता क्यों हैं? जब हम compound interest पढ़ते हैं, हम ये question कभी नहीं पूछते कि compound interest का formula आता कहाँ से हैं ? मेरा मानना ये है कि maths actually एक सोचने और problem solving की एक कला है। और इसलिए मुझे ये लगता है कि अगर हम सब mathematics में एक नया question जोड़ दें, तो ये question है कि हम ये क्यों कर रहे हैं ? ये ऐसा क्यों होता है ? तो I think इससे maths में बहुत interest बढ़ सकता है, लोगों का ! क्योंकि जब किसी चीज को हम समझ नहीं पाते उससे हमें डर लगने लगता है। इसके अलावा मुझे ये भी लगता है कि maths सब सोचते हैं कि एक बहुत logical सा subject है। पर इसके अलावा maths में बहुत creativity भी important होती है। क्योंकि creativity से ही हम out of the box solutions सोच पाते हैं, जो Olympiad में बहुत useful होते हैं। और इसलिए maths Olympiad का भी बहुत important relevance है Maths के interest बढ़ाने के लिए।
प्रधानमंत्री : आनंदो कुछ कहना चाहेंगे!
आनंदो भादुरी : नमस्ते PM जी ! मैं आनंदो भादुरी गुवाहाटी से। मैं अभी-अभी 12वीं कक्षा पास किया हूँ। यहाँ के local Olympiad मैं 6th और 7th में करता था। वहाँ से रुचि हुई ये मेरी दूसरी IMO थी। दोनों IMO बहुत अच्छे लगें। मैं रुशील जो था उससे मैं सहमत हूँ। और मैं ये भी कहना चाहूँगा कि जिन्हें maths से डर है उन्हें धैर्य की बहुत जरूरत है। क्योंकि हमें maths जैसे पढ़ाया जाता है। क्या होता है एक formula दिया जाता है वो रटा जाता है फिर उस formula से ही 100 (सौ) सवाल ऐसे पढ़ने पढ़ते हैं। लेकिन formula समझे कि नहीं वो नहीं देखा जाता सिर्फ सवाल करते जाओ, करते जाओ। formula भी रटा जाएगा और फिर exam में अगर formula भूल गया तो क्या करेगा ? इसलिए मैं कहूँगा कि formula को समझो, जो रुशील कहा था, फिर धैर्य से देखो ! अगर formula ठीक से समझे तो 100 सवाल नहीं करने पड़ेंगे। एक-दो सवाल से ही हो जाएंगे और maths को डरना भी नहीं है।
प्रधानमंत्री जी :- आदित्य और सिद्धार्थ, आप जब शुरू में बात कर रहे थे तब ठीक से बात हो नहीं पाई, अब इन सारे साथियों को सुनने के बाद आपको भी जरूर लगता है कि आप भी कुछ कहना चाहते होंगे। क्या आप अपने अनुभव अच्छे ढंग से शेयर कर सकते हैं?
सिद्धार्थ :- बहुत सारे दूसरे देशों से interact किया था, बहुत सारे cultures थे और बहुत अच्छा था दूसरे students से interact connect, और बहुत सारे famous mathematician थे
प्रधानमंत्री जी :- हाँ आदित्य
आदित्य:- बहुत अच्छा experience था और हमें उन्होंने Bath city को घुमा के दिखाया था और बहुत अच्छे-अच्छे views दिखे थे, parks लेके गए थे और हमें oxford University को भी लेके गए थे। तो वो एक बहुत अच्छा अनुभव था।
प्रधानमंत्री जी :- चलिए साथियों, मुझे बहुत अच्छा लगा, आप लोगों से बात करके, और मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ, क्योंकि, मैं जानता हूँ इस प्रकार के खेल के लिए काफी focus activity करनी पड़ती है, दिमाग खपा देना पड़ता है, और परिवार के लोग भी कभी-कभी तंग आते हैं – ये क्या गुणा-भाग, गुणा-भाग करता रहता है। लेकिन मेरी तरफ से आप को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। आपने देश का मान बढ़ाया, नाम बढ़ाया है। धन्यवाद दोस्तों।
Students:- Thank You, धन्यवाद।
प्रधानमंत्री जी :- Thank You.
Students:- Thank You Sir, जय हिन्द।
प्रधानमंत्री जी :- जय हिन्द – जय हिन्द।
आप सभी Students से बात करके आनंद आ गया। ‘मन की बात’ से जुड़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे विश्वास है कि maths के इन युवा महारथियों को सुनने के बाद, दूसरे युवाओं को maths को enjoy करने की प्रेरणा मिलेगी।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में, अब मैं उस विषय को साझा करना चाहता हूं, जिसे सुनकर हर भारतवासी का सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा। लेकिन इसके बारे में बताने से पहले मैं आपसे एक सवाल करना चाहूंगा। क्या आपने चराईदेउ मैदाम का नाम सुना है? अगर नहीं सुना, तो अब आप ये नाम बार-बार सुनेंगे, और बड़े उत्साह से दूसरों को बताएंगे। असम के चराईदेउ मैदाम को UNESCO World Heritage Site में शामिल किया जा रहा है। इस लिस्ट में यह भारत की 43वीं, लेकिन Northeast की पहली साइट होगी।
साथियो, आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि चराईदेउ मैदाम आखिर है क्या, और ये इतना खास क्यों है। चराईदेउ का मतलब है shining city on the hills, यानी पहाड़ी पर एक चमकता शहर। ये अहोम राजवंश की पहली राजधानी थी। अहोम राजवंश के लोग अपने पूर्वजों के शव और उनकी कीमती चीजों को पारंपरिक रूप से मैदाम में रखते थे। मैदाम, टीले नुमा एक ढांचा होता है, जो ऊपर मिट्टी से ढका होता है, और नीचे एक या उससे ज्यादा कमरे होते हैं। ये मैदाम, अहोम साम्राज्य के दिवंगत राजाओं और गणमान्य लोगों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का ये तरीका बहुत यूनिक है। इस जगह पर सामुदायिक पूजा भी होती थी|
साथियो, अहोम साम्राज्य के बारे में दूसरी जानकारियां आपको और हैरान करेंगी। 13वीं शताब्दी के शुरू होकर ये साम्राज्य 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक चला। इतने लंबे कालखंड तक एक साम्राज्य का बने रहना बहुत बड़ी बात है। शायद अहोम साम्राज्य के सिद्धांत और विश्वास इतने मजबूत थे, कि उसने इस राजवंश को इतने समय तक कायम रखा। मुझे याद है कि, इसी वर्ष 9 मार्च को मुझे अदम्य साहस और शौर्य के प्रतीक, महान अहोम योद्धा लसित बोरफुकन की सबसे ऊंची प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मिला था। इस कार्यक्रम के दौरान, अहोम समुदाय आध्यात्मिक परंपरा का पालन करते हुए मुझे अलग ही अनुभव हुआ था। लसित मैदाम में अहोम समुदाय के पूर्वजों को सम्मान देने का सौभाग्य मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। अब चराईदेउ मैदाम के World Heritage Site बनने का मतलब होगा कि यहां पर और अधिक पर्यटक आएंगे। आप भी भविष्य के अपने travel plans में इस site को जरूर शामिल करिएगा।
साथियो, अपनी संस्कृति पर गौरव करते हुए ही कोई देश आगे बढ़ सकता है। भारत में भी इस तरह के बहुत सारे प्रयास हो रहे हैं। ऐसा ही एक प्रयास है – Project PARI…अब आप परी सुनकर confuse मत होईएगा.. ये परी स्वर्गीय कल्पना से नहीं जुड़ी बल्कि धरती को स्वर्ग बना रही है। PARI यानि Public Art of India। Project PARI, public art को लोकप्रिय बनाने के लिए उभरते कलाकारों को एक मंच पर लाने का बड़ा माध्यम बन रहा है। आप देखते होंगे.. सड़कों के किनारे, दीवारों पर, underpass में बहुत ही सुंदर paintings बनी हुई दिखती हैं। ये paintings और ये कलाकृतियाँ यही कलाकार बनाते हैं जो PARI से जुड़े हैं। इससे जहां हमारे सार्वजनिक स्थानों की सुंदरता बढ़ती है, वहीं हमारे Culture को और ज्यादा popular बनाने में भी मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, दिल्ली के भारत मंडपम को ही लीजिए। यहां देश भर के अद्भुत art works आपको देखने को मिल जाएंगे। दिल्ली में कुछ underpass और flyover पर भी आप ऐसे खूबसूरत Public Art देख सकते हैं। मैं कला और संस्कृति प्रेमियों से आग्रह करूंगा कि वे भी Public Art पर और काम करें। ये हमें अपनी जड़ों पर गर्व करने की सुखद अनुभूति देगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में, अब बात, ‘रंगों की’ – ऐसे रंगों की, जिन्होंने हरियाणा के रोहतक जिले की ढ़ाई-सौ से ज्यादा महिलाओं के जीवन में समृद्धि के रंग भर दिए हैं। हथकरघा उद्योग से जुड़ी ये महिलाएं पहले छोटी-छोटी दुकानें और छोटे-मोटे काम कर गुज़ारा करती थी। लेकिन हर किसी में आगे बढ़ने की इच्छा तो होती ही होती है। इसलिए इन्होंने ‘UNNATI Self Help Group’ से जुड़ने का फैसला किया, और इस group से जुड़कर, उन्होंने block printing और रंगाई में training हासिल की। कपड़ों पर रंगों का जादू बिखेरने वाली ये महिलाएं आज लाखों रुपए कमा रही हैं। इनके बनाए Bed Cover, साड़ियाँ और दुपट्टों की बाजार में भारी मांग है।
साथियो, रोहतक की इन महिलाओं की तरह देश के अलग-अलग हिस्सों में कारीगर, Handloom को लोकप्रिय बनाने में जुटी हैं। चाहे ओडिशा की ‘संबलपुरी साड़ी’ हो, चाहे MP की ‘माहेश्वरी साड़ी’ हो, महाराष्ट्र की ‘पैठाणी’ या विदर्भ के ‘Hand block prints’ हों, चाहे हिमाचल के ‘भूट्टिको’ के शॉल और ऊनी कपड़े हों, या फिर, जम्मू-कश्मीर के ‘कनि’ शॉल हों। देश के कोने-कोने में handloom कारीगरों का काम छाया हुआ है। और आप ये तो जानते ही होंगे, कुछ ही दिन बाद 7 अगस्त को हम ‘National Handloom Day’ मनाएंगे। आजकल, जिस तरह handloom उत्पादों ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है, वो वाकई बहुत सफल है, जबरदस्त है। अब तो कई निजी कंपनियां भी AI के माध्यम से handloom उत्पाद और Sustainable Fashion को बढ़ावा दे रही हैं। Kosha AI, Handloom India, D-Junk, Novatax, Brahmaputra Fables, ऐसे कितने ही Start-Up भी handloom उत्पादों को लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं। मुझे ये देखकर भी अच्छा लगा कि बहुत से लोग अपने यहाँ के ऐसे local products को popular बनाने में जुटे हैं। आप भी अपने local products को ‘हैशटैग माई प्रॉडक्ट माई प्राइड’ के नाम से Social Media पर upload करें। आपका ये छोटा सा प्रयास, अनेकों लोगों की जिंदगी बदल देगा।
साथियो, handloom के साथ-साथ मैं खादी की बात भी करना चाहूँगा। आप में से ऐसे कई लोग होंगे जो पहले कभी खादी के उत्पादों का उपयोग नहीं करते थे, लेकिन आज बड़े गर्व से खादी पहनते हैं। मुझे ये बताते हुए भी आनंद आ रहा है – खादी ग्रामोद्योग का कारोबार पहली बार डेढ़ लाख करोड़ रुपए के पार पहुँच गया है। सोचिए, डेढ़ लाख करोड़ रुपए !! और जानते हैं खादी की बिक्री कितनी बढ़ी है ? 400% (परसेंट)। खादी की, handloom की, ये बढ़ती हुई बिक्री, बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर भी बना रही है। इस industry से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं, तो सबसे ज्यादा फायदा भी, उन्हीं को हो रहा है। मेरा तो आपसे फिर एक आग्रह है, आपके पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे, और आपने, अब तक खादी के वस्त्र नहीं खरीदे, तो, इस साल से शुरू कर लें। अगस्त का महीना आ ही गया है ये आजादी मिलने का महीना है, क्रांति का महीना है। इससे बढ़िया अवसर और क्या होगा – खादी खरीदने के लिए।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में मैंने अक्सर आपसे Drugs की चुनौती की चर्चा की है। हर परिवार की ये चिंता होती है कि कहीं उनका बच्चा drugs की चपेट में ना आ जाए। अब ऐसे लोगों की मदद के लिए, सरकार ने एक विशेष केंद्र खोला है, जिसका नाम है – ‘मानस’। Drugs के खिलाफ लड़ाई में ये बहुत बड़ा कदम है। कुछ दिन पहले ही ‘मानस’ की Helpline और Portal को launch किया गया है। सरकार ने एक Toll Free Number ‘1933’ जारी किया है। इस पर call करके कोई भी जरूरी सलाह ले सकता है या फिर rehabilitation से जुड़ी जानकारी ले सकता है। अगर किसी के पास Drugs से जुड़ी कोई दूसरी जानकारी भी है, तो वो, इसी नंबर पर call करके ‘Narcotics Control Bureau’ के साथ साझा भी कर सकते हैं I ‘मानस’ के साथ साझा की गई हर जानकारी गोपनीय रखी जाती है I भारत को ‘Drugs free’ बनाने में जुटे सभी लोगों से, सभी परिवारों से, सभी संस्थाओं से मेरा आग्रह है कि MANAS Helpline का भरपूर उपयोग करें I
मेरे प्यारे देशवासियो, कल दुनियाभर में Tiger Day मनाया जाएगा I भारत में तो Tigers ‘बाघ’, हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है I हम सब बाघों से जुड़े किस्से–कहानियाँ सुनते हुए ही बड़े हुए हैं I जंगल के आसपास के गाँव में तो हर किसी को पता होता है कि बाघ के साथ तालमेल बिठाकर कैसे रहना है I हमारे देश में ऐसे कई गाँव है, जहां इंसान और बाघ के बीच कभी टकराव की स्थिति नहीं आती I लेकिन जहाँ ऐसी स्थिति आती है, वहाँ भी बाघों के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व प्रयास हो रहे हैं I जन-भागीदारी का ऐसा ही एक प्रयास है “कुल्हाड़ी बंद पंचायत” I राजस्थान के रणथंभौर से शुरू हुआ “कुल्हाड़ी बंद पंचायत” अभियान बहुत दिलचस्प है। स्थानीय समुदायों ने स्वयं इस बात की शपथ ली है कि जंगल में कुल्हाड़ी के साथ नहीं जाएंगे और पेड़ नहीं काटेंगे। इस एक फैसले से यहाँ के जंगल, एक बार फिर से हरे-भरे हो रहे हैं, और बाघों के लिए बेहतर वातावरण तैयार हो रहा है।
साथियो, महाराष्ट्र का Tadoba-Andhari Tiger Reserve बाघों के प्रमुख बसेरों में से एक है। यहाँ के स्थानीय समुदायों, विशेषकर गोंड और माना जनजाति के हमारे भाई-बहनों ने Eco-tourism की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने जंगल पर अपनी निर्भरता को कम किया है ताकि यहाँ बाघों की गतिविधियाँ बढ़ सके। आपको आंध्र प्रदेश में नल्लामलाई की पहाड़ियों पर रहने वाले ‘चेन्चू’ जनजाति के प्रयास भी हैरान कर देंगे। उन्होंने Tiger Trackers के तौर पर जंगल में वन्य जीवों के movement की हर जानकारी जमा की। इसके साथ ही, वे, क्षेत्र में, अवैध गतिविधियों की निगरानी भी करते रहे हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में चल रहा ‘बाघ मित्र कार्यक्रम’ भी बहुत चर्चा में है। इसके तहत स्थानीय लोगों को ‘बाघ मित्र’ के रूप में काम करने की training दी जाती है। ये ‘बाघ मित्र’ इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि बाघों और इंसानों के बीच टकराव की स्थिति ना बने। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह के कई प्रयास जारी हैं। मैंने, यहाँ, कुछ ही प्रयासों की चर्चा की है लेकिन मुझे खुशी है कि जन-भागीदारी बाघों के संरक्षण में बहुत काम आ रही है। ऐसे प्रयासों की वजह से ही भारत में बाघों की आबादी हर साल बढ़ रही है। आपको ये जानकर खुशी और गर्व का अनुभव होगा कि दुनियाभर में जितने बाघ हैं उनमें से 70 प्रतिशत बाघ हमारे देश में हैं। सोचिए ! 70 प्रतिशत बाघ!! – तभी तो हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में कई Tiger Sanctuary है।
साथियो, बाघ बढ़ने के साथ-साथ हमारे देश में वन क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है। इसमें भी सामुदायिक प्रयासों से बड़ी सफलता मिल रही है। पिछले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में आपसे ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम की चर्चा की थी। मुझे खुशी है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग इस अभियान से जुड़ रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले स्वच्छता के लिए प्रसिद्ध, इंदौर में, एक शानदार कार्यक्रम हुआ। यहाँ ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम के दौरान एक ही दिन में 2 लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए। अपनी माँ के नाम पर पेड़ लगाने के इस अभियान से आप भी जरूर जुड़ें और Selfie लेकर Social Media पर भी post करें। इस अभियान से जुड़कर आपको, अपनी माँ, और धरती माँ, दोनों के लिए, कुछ special कर पाने का एहसास होगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, 15 अगस्त का दिन अब दूर नहीं है। और अब तो 15 अगस्त के साथ एक और अभियान जुड़ गया है, ‘हर घर तिरंगा अभियान’। पिछले कुछ वर्षों से तो पूरे देश में ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के लिए सबका जोश high रहता है। गरीब हो, अमीर हो, छोटा घर हो, बड़ा घर हो, हर कोई तिरंगा लहराकर गर्व का अनुभव करता है। तिरंगे के साथ Selfie लेकर Social Media पर post करने का craze भी दिखता है। आपने गौर किया होगा, जब colony या society के एक-एक घर पर तिरंगा लहराता है, तो देखते ही देखते दूसरे घरों पर भी तिरंगा दिखने लगता है। यानी ‘हर घर तिरंगा अभियान’ – तिरंगे की शान में एक Unique Festival बन चुका है। इसे लेकर अब तो तरह-तरह के innovation भी होने लगे हैं। 15 अगस्त आते-आते, घर में, दफ्तर में, कार में, तिरंगा लगाने के लिए तरह-तरह के product दिखने लगते है। कुछ लोग तो ‘तिरंगा’ अपने दोस्तों, पड़ोसियों को बांटते भी है। तिरंगे को लेकर ये उल्लास, ये उमंग हमें एक दूसरे से जोड़ती है।
साथियो, पहले की तरह इस साल भी आप ‘harghartiranga.com’ पर तिरंगे के साथ अपनी Selfie जरूर upload करेंगे और मैं, आपको एक और बात याद दिलाना चाहता हूँ। हर साल 15 अगस्त से पहले आप मुझे अपने ढ़ेर सारे सुझाव भेजते हैं। आप इस साल भी मुझे अपने सुझाव जरूर भेजिए। आप MyGov या NaMo App पर भी अपने सुझाव भेज सकते हैं। मैं ज्यादा से ज्यादा सुझावों को 15 अगस्त के सम्बोधन में cover करने की कोशिश करूंगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ के इस episode में आपसे जुड़कर बहुत अच्छा लगा। अगली बार फिर मिलेंगे, देश की नई उपलब्धियों के साथ, जनभागीदारी के नए प्रयासों के साथ, आप, ‘मन की बात’ के लिए अपने सुझाव जरूर भेजते रहें। आने वाले समय में अनेक पर्व भी आ रहे हैं। आपको, सभी पर्वों की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं। आप अपने परिवार के साथ मिलकर त्योहारों का आनंद उठाएं। देश के लिए कुछ न कुछ नया करने की ऊर्जा निरंतर बनाए रखे। बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।
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