भारी बारिश के दौरान सभी सरकारी यंत्रणाएं समन्वय बनाकर काम करें : मुरलीधर मोहोल
केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने जिले में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की
पुणे, जुलाई (जिमाका)
पुणे जिले में हुई भारी बारिश और बाढ़ के कारण हुए नुकसान का तत्काल पंचनामा किया जाए और प्रभावित नागरिकों को तत्काल सहायता दी जाए। आपदा के दौरान सभी संबंधित यंत्रणाएं समन्वय से कार्य करें। यह निर्देश केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल ने जिला प्रशासन को दिए।
शासकीय विश्रामगृह में जिले की बाढ़ की स्थिति पर आयोजित समीक्षा बैठक में वे बोल रहे थे। इस समय उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत दादा पाटिल, विधायक माधुरी मिसाल, भीमराव तपकिर, सिद्धार्थ शिरोले, विभागीय आयुक्त डॉ. चंद्रकांत पुलकुंडवार, पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार, पुणे मनपा आयुक्त डॉ. राजेंद्र भोसले, जिलाधिकारी डॉ. सुहास दिवसे, पीएमआरडीए के अतिरिक्त आयुक्त दीपक सिंगला, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनोज पाटिल, जल संसाधन विभाग के कार्यकारी निदेशक अतुल कपोले, सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता हनुमंत गुनाले, महावितरण के मुख्य अभियंता राजेंद्र पवार आदि उपस्थित थे।
श्री मोहोल ने कहा कि जिले में हुई भारी बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के स्थानांतरित नागरिकों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। इस क्षेत्र में साफ-सफाई के साथ-साथ नागरिकों को भोजन एवं स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जाए। नागरिकों के स्वास्थ्य की जांच की जाए। रोग नियंत्रण के लिए आवश्यक उपाय किए जाएं, इसके लिए पर्याप्त जनशक्ति बढ़ाई जाए। छात्रों को शैक्षणिक हानि से बचाने के लिए बाढ़ के पानी में क्षतिग्रस्त या बह गए दस्तावेजों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। बांध से पानी छोड़े जाने के कारण नागरिकों को होनेवाली असुविधा से बचने के लिए जल संसाधन विभाग पानी छोड़ने से पहले जिले के जन प्रतिनिधि, राजस्व, महानगरपालिका, पुलिस प्रशासन और स्थानीय यंत्रणाओं को सूचित करे, ताकि जानकारी नागरिकों तक पहुँचने के लिए मदद मिल सके। नदी किनारे के गांवों के निवासियों को स्थानीय प्रणाली के माध्यम से बांध से पानी छोड़े जाने की जानकारी दी जानी चाहिए। शहर के बाढ़ प्रभावित परिसर में सीसीटीवी व्यवस्था लागू की जाए। महावितरण को बाधित बिजली आपूर्ति बहाल करनी चाहिए। भविष्य में पुणे शहर में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न न हो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।
श्री पाटिल ने कहा कि बाढ़ प्रभावित परिसर में स्वच्छता अभियान चलाया जाए। साथ ही इन परिसर में नुकसान का पंचनामा शीघ्र पूर्ण कर क्षति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने बांध में जल भण्डारण, निकासी के संबंध में समय-समय पर अद्यतन निर्देश, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में क्षति का पंचनामा बनाकर प्रभावित नागरिकों को सहायता देने, उन्हें मुआवजा दिये जाने के संबंध में सुझाव दिए। नदी तल में भराव को हटाना, छात्रों को शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रदान करने के बारे में सूचना दी।
विभागीय आयुक्त डॉ.चंद्रकांत पुलकुंडवार ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग और कृषि विभाग की स्काईमेट प्रणाली से वर्षा पूर्वानुमान की सावधानीपूर्वक निगरानी के लिए महानगरपालिका ने एक अलग कक्ष बनाना चाहिए। जल संसाधन विभाग ने बांध के पानी की आवक एवं बांध से पानी निकासी के संबंध में जिले के जनप्रतिनिधि, राजस्व, महानगरपालिका, पुलिस प्रशासन, स्थानीय यंत्रणा को संदेश एवं टेलीफोन, ईमेल के माध्यम से सूचित किया जाए, उसका रिकॉर्ड रखा जाए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में क्षति का पंचनामा किया जाए और तत्काल सहायता प्रदान की जाए। विशेष सहायता के संबंध में प्रस्ताव शासन को भेजा जाए।
जिलाधिकारी डॉ. सुहास दिवसे ने कहा कि बाढ़ प्रभावित परिसर के नागरिकों के लिए राहत कार्य जारी है और प्रभावित क्षेत्र के करीब 4 हजार 500 नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। उन्हें भोजन, नाश्ता, कंबल आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। पुणे शहर एवं हवेली के उपविभागीय अधिकारी की मदद से क्षतिग्रस्त क्षेत्र के पंचनामा की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पंचनामा पूरा होते ही सहायता का प्रस्ताव तुरंत शासन को सौंप दिया जाएगा। अतिवृष्टि के दौरान मृत व्यक्तियों के परिजनों को मुख्यमंत्री सहायता कोष से सहायता हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाएंगे। मौसम विभाग के पूर्वानुमान को लेकर जिला प्रशासन सतर्क है और उसके अनुरूप जिले में आवश्यक उपाय किए गए हैं।
श्री अमितेश कुमार और डॉ. भोसले ने पुणे शहर में बाढ़ की स्थिति के कारण प्रभावित क्षेत्रों में किए जा रहे उपाय के बारे में जानकारी दी।
जल संसाधन विभाग श्री कपोले और श्री गुनाले ने बांध क्षेत्र में पानी की स्थिति, बांध में आवक की माप के बारे में जानकारी दी।
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