नकली बीज, उर्वरक, नकली कीटनाशकों के मामले में अपराध दर्ज करें : डॉ. सुहास दिवसे
पुणे जिला खरीफ पूर्व मौसम समीक्षा बैठक संपन्न
पुणे, अप्रैल (जिमाका)
आगामी ख़रीफ़ मौसम में किसानों को बीज, उर्वरक, कीटनाशकों की पर्याप्त आपूर्ति पर ध्यान देना चाहिए। नकली बीज, उर्वरक, नकली कीटनाशक बाजार में नहीं आने चाहिए इसलिए ऐसे मामलों में तुरंत अपराधों को दर्ज करके सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। यह निर्देश जिलाधिकारी डॉ. सुहास दिवसे ने दिए।
जिलाधिकारी कार्यालय में आयोजित जिला खरीफ पूर्व मौसम समीक्षा बैठक में वे बोल रहे थे। इस अवसर पर यहां जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संतोष पाटिल, विभागीय कृषि सहसंचालक रफीक नायकवडी, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी संजय काचोले आदि उपस्थित थे।
उन्होंने निर्देश दिए कि भारतीय मौसम विभाग ने इस साल औसत से ज्यादा यानी अच्छी बारिश का अनुमान व्यक्त किया है और यह संतोष की बात है यह बताते हुए डॉ. दिवसे ने कहा कि पुणे जिले में संसाधनों की कोई कमी नहीं है और किसान भी प्रगतिशील और नवोन्मेषी हैं, इसलिए विभाग को कृषि विकास के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। बीज, कीटनाशकों के बारे में जहां भी शिकायत मिले, वहां तुरंत जांच, रिपोर्ट कर अपराध दर्ज किए जाएं। प्राकृतिक खेती का प्रमाणन और इसके लिए पारिस्थितिकी तंत्र बनाए बिना प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा नहीं दिया जा सकेगा। उस संबंध में प्रयास किए जाने चाहिए। उर्वरक कंपनियों को किसी भी स्थिति में बफर भंडारण के लिए निश्चित करायी गई आपूर्ति करनी चाहिए। उर्वरकों के यातायात के लिए उचित योजना बनाएं। यूरिया खाद की आपूर्ति के संबंध में योजना बनायी जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि खरीफ की सभी फसलों के लिए बीजों की उपलब्धता की समीक्षा कर सोयाबीन की खेती को बढ़ावा देते हुए किसानों को घरेलू बीजों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
कृषि में नवीनतम तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है। महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत बंजर भूमि पर बांस की खेती की पहल अच्छी है और यदि बाजार से जुड़ाव हो जाए तो किसान बांस की खेती के लिए आगे आएंगे।
पारंपरिक दृष्टिकोण से बाहर आकर फलबागों में सामान्य क्षेत्रों में अमरूद साथ ही पुरंदर और अन्य क्षेत्रों में सीताफल, अंजीर जहां संभव हो वहां ड्रैगनफ्रूट की खेती पर जोर देना किसानों के लिए फायदेमंद होगा। कम जोखिम के साथ एक्जॉटिक (विदेशी) सब्जियों की खेती को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। किसानों को शाश्वत फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
पुणे, मुंबई जैसे बड़े बाजार पास में होने से गुणवत्तापूर्ण कृषि उपज की भारी मांग है। कृषि उत्पादों के निर्यात के साथ-साथ घरेलू और आसपास के बड़े बाजारों के लिए गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्पाद, फल, सब्जियां उपलब्ध कराएंगे तो इससे आर्थिक लाभ किसानों को काफी हद तक होगा। इससे किसानों को आश्वस्त किया जाना चाहिए। पुणे जिले ने फसल ऋण वितरण में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रहेगा।
श्री नायकवडी ने सब्जियों और फलों के निर्यात के लिए वेजनेट और फ्रूटनेट सुविधा के बारे में जानकारी दी। उर्वरक कंपनियां विभाग के निर्देशानुसार जहां आवश्यक हो वहां उर्वरक की आपूर्ति करें।
इस समय श्री काचोले ने अपने प्रस्तुतीकरण में कहा, जिले में खरीफ का क्षेत्र करीब 2 लाख हेक्टेयर है। पिछले तीन हंगाम में लगभग 30 हजार क्विंटल बीज बेचे गए हैं और इस साल 36 हजार क्विंटल की मांग को पूरा करने की योजना बनाई गई है। इस वर्ष आवंटन के अनुरूप उर्वरक की आपूर्ति की जा रही है। यूरिया की होनेवाली मांग को देखते हुए शासन ने जिला प्रशासन की मांग के अनुरूप जिले में 10 हजार 330 मे. टन. संरक्षित भंडार (बफर स्टॉक) करने के लिए मंजूरी दी है, इसलिए यूरिया का 9 हजार 460 मे. टन और डीएपी की 870 मे. टन का बफर स्टॉक किया जाएगा।
इस समय प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पीएम-किसान योजना की ई-केवाईसी, निविष्टा गुणवत्ता नियंत्रण, कृषि यंत्रीकरण, बाग रोपण, राष्ट्रीय कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय बागवानी अभियान, मुख्यमंत्री शाश्वत कृषि सिंचाई योजना, कृषि पंप बिजली कनेक्शन, जिले में बांध परियोजना में पानी की स्थिति, बेमौसम बारिश व अन्य कारणों से मार्च माह के अंत में हुए नुकसान का भुगतान, गोपीनाथ मुंडे किसान दुर्घटना अनुग्रह अनुदान योजना के माध्यम से दिए गए अनुदान के बारे में सूचित किया गया।
श्री हिरेमठ ने आत्मा प्रणाली द्वारा कार्यान्वित कृषि विद्यालय, जैविक खेती परियोजना के बारे में एक प्रस्तुति दी।
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