सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम पर भरोसा बरकरार रखा, चुनाव में बैलेट पेपर के इस्तेमाल की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम पर भरोसा बरकरार रखा, चुनाव में बैलेट पेपर के इस्तेमाल की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम पर भरोसा बरकरार रखा, चुनाव में बैलेट पेपर के इस्तेमाल की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

-सुप्रीम कोर्ट ने 19 लाख गायब ईवीएम पर बेबुनियाद आरोपों को खारिज किया
-लगभग 40 बार सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल पर भरोसा जताया

पुणे, मार्च (जिमाका)
भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम में विश्वास पर एक बार फिर प्रतिक्रिया देते हुए 19 लाख से अधिक ईवीएम की कथित गुमशुदगी और चुनाव कराने के लिए मतपत्रों के उपयोग के संबंध में दो ऐसी रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया। 19 लाख गायब ईवीएम याचिका पर फैसला सुनाते हुए माननीय न्यायालय ने इस तरह के संदेह और आरोपों को पूरी तरह से निराधार पाया और मामले का निपटारा भारत चुनाव आयोग के पक्ष में कर दिया। याचिकाकर्ता-आईएनसीपी ने आशंका व्यक्त की कि 2016-19 के दौरान भारत के चुनाव आयोग की हिरासत से गायब हुई 19 लाख ईवीएम का इस्तेमाल आगामी लोकसभा आम चुनाव, 2024 में धांधली करने के लिए किया जा सकता है।

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 61ए को अलग करके बैलेट पेपर के उपायोग से चुनाव कराने के संबंध में एक अन्य याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए माननीय न्यायमूर्ति खन्ना ने अवलोकन दर्ज किया कि ईवीएम के कामकाज से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर 10 से अधिक मामलों की जांच की गई है। माननीय न्यायालय ने समय-समय पर याचिकाओं को खारिज करते हुए हमेशा ईवीएम की कार्यप्रणाली पर विश्वास दिखाया है।

पिछले दशक में और लगभग 40 निर्णयों में, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के चुनाव आयोग की ईवीएम और इस संबंध में पारदर्शी प्रक्रिया और सख्त प्रशासनिक प्रक्रियाओं में उनका विश्वास और भरोसा बनाए रखा है, जिससे भारत में ईवीएम के पक्ष में मिल रहे न्याय को अत्यधिक मूल्य और ताकत मिली है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम फैसले मा. सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के आदेशों के मजबूत और बढ़ती हुई छवि को जोड़ते हुए, जिन्होंने विभिन्न ईवीएम मामलों की जांच की है और भारत के चुनाव आयोग के पक्ष में फैसला सुनाया है। साथ ही यह भी ज्ञात हो कि हाल ही के मामले में (मध्य प्रदेश जन विकास पार्टी बनाम भारत निर्वाचन आयोग, विशेष अनुमति याचिका (सिविल) 16870/2022, सितंबर, 2022) में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आवेदक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। याचिकाकर्ता ने ऐसा अवलोकन दर्ज किया कि देश में दशकों से ईवीएम का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन उठाए गए मुद्दे मिटा दिए गए हैं।

माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इसी तरह की याचिका (सी.आर. जया सुकिन बनाम भारत निर्वाचन आयोग और अन्य, रिट याचिका (सिविल) 6635/2021, अगस्त 2021) पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसमें ईवीएम का इस्तेमाल बंद करने और आगामी सभी चुनावों में ईवीएम और उसके बजााय बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने का आवेदक ने जिक्र किया था। इससे पहले, दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की आगामी लोकसभा चुनावों में उपयोग की जानेवाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और वीवीपीएटी के लिए चल रही प्रथम स्तरीय सत्यापन (एफएलसी) प्रक्रिया को समाप्त करने की मांग करने की याचिका को खारिज कर दिया था।

एनसीआर न्यायालय ने अपने फैसले में मौजूदा प्रक्रिया की मजबूती और पारदर्शिता पर जोर दिया और याचिकाकर्ताओं के दावों को खारिज कर दिया। ईवीएम मैनुअल, स्टेटस पेपर, ईवीएम प्रेजेंटेशन, ईवीएम 40 साल की यात्रा पर प्रगति पुस्तक, ईवीएम का कानूनी इतिहास जैसे प्रकाशनों के रूप में ईवीएम से संबंधित प्रक्रियाओं और सुरक्षा उपायों के बारे में सार्वजनिक मीडिया पर जानकारी उपलब्ध कराने में हमेशा सबसे आगे रहा है और लगातार अद्यतन ईवीएम प्रश्नावली के संबंध में भारत चुनाव आयोग हमेशा ही आगे है।

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