मालवेयर के प्रसार की पायरेसी वेबसाइटें एक प्रमुख साधन : ब्रिजेश सिंह
-डिजिटल कॉपीराइट अपराधों और साइबर सुरक्षा जागरूकता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता
-आईएसबी इंस्टीट्यूट ऑफ डेटा साइंसेज ने साइबर सुरक्षा पर रिपोर्ट का किया प्रकाशन
मुंबई, मार्च (महासंवाद)
पायरेसी वेबसाइटें मालवेयर फैलाने का एक प्रमुख माध्यम बन गई हैं। उपभोक्ता केवल पायरेटेड फिल्में या टीवी शो नहीं देख रहे हैं, वे अपने ‘डिवाइस’ से समझौता कर रहे हैं और आपका ‘डिवाइस’ ‘अन्य आप’ हैं।
इसमें आपकी पहचान, आपके बैंकिंग विवरण, आपके दोस्तों और परिवार का विवरण शामिल है। इस रिपोर्ट में अब वो बातें सामने आ गई हैं जो कई सालों से अस्पष्ट थीं। आईएसबी (इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस) की रिपोर्ट ने इस बदलाव की शुरुआत है। यह विचार सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय के महानिदेशक एवं मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव ब्रिजेश सिंह ने व्यक्त किए।
आईएसबी (इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस) द्वारा साइबर सुरक्षा पर एक व्यापक अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन पर रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव ब्रिजेश सिंह, दक्षिण एशिया के अमेरिकी बौद्धिक संपदा सलाहकार जॉन कैबेका, क्षेत्रीय संचालन के प्रमुख नील गणे और आईएसबी के ‘डेटा विज्ञान संस्थान’ के प्रो. मनीष गंगवार आदि गणमान्य व्यक्तियों द्वारा वाणिज्य दूतावास मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में किया गया।
इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक मनीष गंगवार, ला ट्रोब यूनिवर्सिटी (मेलबोर्न) में साइबर सुरक्षा विभाग के सहायक प्रो. डॉ. पॉल वाटर्स, कैरिन टेंपल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
आईएसबी इंस्टीट्यूट ऑफ डेटा साइंस के प्रो. गंगवार और डॉ. श्रुति मंत्री, मेलबर्न के ला ट्रोब यूनिवर्सिटी, के ज साइबर सुरक्षा की सहायक प्रोफेसर डॉ. पॉल वाटर्स ने ‘द पाइरेसी-मैलवेयर नेक्सस इन इंडिया : ए परसेप्शन एंड एक्सपीरियंस एंड एम्पिरिकल एनालिसिस’ इस कार्यक्रम का आयोजन वाणिज्य दूतावास, मुंबई में एलायंस फॉर क्रिएटिविटी एंड एंटरटेनमेंट (एसीई), आईएसबी इंस्टीट्यूट ऑफ डेटा साइंस (आईआईडीएस) और एसीई ने यूनाइटेड स्टेट्स पेटंट एण्ड ट्रेडमार्क ऑफिस (यूएसपीटीओ) के सहयोग से आयोजित किया गया।
रिपोर्ट से निष्कर्ष
रिपोर्ट में प्रौढ़ उद्योग 57 प्रतिशत और जुए से संबंधित विज्ञापनों के लिए 53 प्रतिशत तुलना में पायरेसी साइटों में प्रवेश करके मैलवेयर संक्रमण का खतरा 59 प्रतिशत अधिक होता है। ‘वायरस टोटल’ का उपयोग करके 150 वेबसाइटों के विश्लेषण से मैलवेयर, संदिग्ध गतिविधि, फ़िशिंग प्रयास और स्पैम जैसे साइबर जोखिमों का पता चला। मानक पायरेसी वेबसाइटों की तुलना में स्कैम पायरेसी वेबसाइटों के उपयोगकर्ताओं को साइबर खतरों के संपर्क में आने का अधिक खतरा होता है।
मालवेयर वितरण पायरेसी साइट निदेशकों के लिए अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करने में भारत में ऑनलाइन पायरेसी लाभदायक रही है। भारतीय उपभोक्ता पायरेसी साइटों का उपयोग करते समय अपने वास्तविक साइबर जोखिम को कम आंकते हैं, पायरेसी वेबसाइटों से जुड़े साइबर सुरक्षा खतरों को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हैं। इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा आयोजित जमीनी स्तर पर धारणा और अनुभव अध्ययन में (ग्राउंड परसेप्शन एंड एक्सपीरियंस स्टडी) मैलवेयर संक्रमण का भारतीय उपभोक्ता के लिए 59 प्रतिशत जोखिम वाली पायरेसी वेबसाइटें एक बड़ा खतरा बनकर उभरी हैं। विशेष रूप से चिंता की बात यह है कि 18-24 वर्ष की आयु के उपयोगकर्ता जो इन प्लेटफार्मों पर सबसे अधिक व्यस्त हैं, उनमें साइबर खतरों के बारे में कम जागरूकता पाई गई।
यह सर्वे 23 से 29 मई 2023 इस अवधि के दौरान किया गया था। ‘YouGov’ नेशनल ऑम्निबस के हिस्से के रूप में भारत से 1,037 उत्तरदाता शामिल हैं। भारत के वयस्क नागरिकों की आवृत्ति अनुपात के आधार पर जनसंख्या विशेषताओं के आधार पर 18 वर्ष से अधिक आयु की ऑनलाइन जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने के लिए डेटा को संतुलित किया गया था।
यह पूरी रिपोर्ट https://www.isb.edu/content/dam/sites/isb/India-Piracy-and-Cyber-Threats-Report-DM.pdf इस वेबसाइट पर उपलब्ध है।
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