वंचितों को उच्च शिक्षा, अनुसंधान और कौशल विकास की तिकड़ी पर जोर दें : राज्यपाल रमेश बैस

वंचितों को उच्च शिक्षा, अनुसंधान और कौशल विकास की तिकड़ी पर जोर दें : राज्यपाल रमेश बैस

वंचितों को उच्च शिक्षा, अनुसंधान और कौशल विकास की तिकड़ी पर जोर दें : राज्यपाल रमेश बैस

पुणे, मार्च (जिमाका)
देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए मजबूत नींव रखने के लिए उच्च शिक्षा महत्वपूर्ण है, इसलिए विश्वविद्यालयों को समाज के वंचित वर्गों को उच्च शिक्षा प्रदान करने, अनुसंधान और कौशल विकास की तिकड़ी पर जोर देना चाहिए। यह अपील राज्यपाल रमेश बैस ने की है।

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होटल ग्रैंड शेरेटन में ‘भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में उच्च शिक्षा की भूमिका-भारत 2047’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में वे बोल रहे थे। कार्यक्रम में एजूकेशन प्रमोशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के डॉ. एम.आर. जयरामन, डॉ. जी. विश्वनाथन, प्रो. मंगेश कराड, डॉ. प्रशांत भल्ला, डॉ. एच. चतुर्वेदी आदि उपस्थित थे।
राज्यपाल श्री बैस ने कहा कि शाश्वत आर्थिक विकास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सभी को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने से विकसित भारत का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में हम कहां हैं, इसका चिंतन करने का यही सही समय है। भारत के छात्र विकसित देशों के विश्वविद्यालयों में दाखिला क्यों लेते हैं, इसका भी विचार करना महत्वपूर्ण है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के समय में शिक्षा क्षेत्र में तेजी से बदलाव देखने को मिलेंगे। ऐसे में हमें छात्रों, प्रोफेसरों और पाठ्यक्रमों के आदान-प्रदान के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के साथ जोड़ना होगा। देश के विश्वविद्यालयों में शोध की उपेक्षा हो रही है और शोध पर अधिक जोर देने की जरूरत है।

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने 2035 तक उच्च शिक्षा प्राप्त करनेवाले छात्रों के अनुपात को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालयों को समाज के वंचित, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, विकलांग, एलजीबीटीक्यू आदि तत्वों तक पहुंचना होगा। आर्थिक परेशानी के कारण कोई भी उच्च शिक्षा से वंचित न रहे इसलिए प्रयास करना होगा। कामकाजी लोगों, गृहिणियों, बंदी, शिक्षा से दूर रहनेवाले व्यक्तियों तक को खुली शिक्षा उपलब्ध करानी होगी।

आज कई छात्र रोजगार पाने के लिए पढ़ाई करते नजर आते हैं। हमारा पारंपरिक पाठ्यक्रम रोजगार के लिए कौशल प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए इसे बदलने और कौशल शिक्षा पर जोर देने की आवश्यकता है। 12 वीं के बाद कौशल शिक्षा ही वास्तविक उच्च शिक्षा है और विश्वविद्यालयों को ऐसे पाठ्यक्रम संरचना करने के लिए महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय का सहयोग लेना चाहिए। छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए समावेशी, न्यायसंगत और परिवर्तनकारी पाठ्यक्रम की संरचना विश्वविद्यालयों को करनी चाहिए। यह अपील श्री बैस ने की। छात्र नवप्रवर्तक, उद्यमी और नौकरी निर्माता बन सकें इस संबंध में नई शिक्षा प्रणाली विकसित करने पर शिक्षा विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और शिक्षा प्रवर्तकों को जोर देना चाहिए। यह भी अपेक्षा राज्यपाल श्री बैस ने व्यक्त की।
इस समय डॉ. एम.आर. जयरामन, डॉ. जी. विश्वनाथन, प्रो. मंगेश कराड व डॉ. एच. चतुर्वेदी ने भी विचार व्यक्त किए।

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