व्यसन से बचें, स्वच्छता नियमों का पालन करें’ : पद्मश्री डॉ.रमण गंगाखेडकर का संदेश

व्यसन से बचें, स्वच्छता नियमों का पालन करें’ : पद्मश्री डॉ.रमण गंगाखेडकर का संदेश

व्यसन से बचें, स्वच्छता नियमों का पालन करें’ : पद्मश्री डॉ.रमण गंगाखेडकर का संदेश

पुणे, दिसंबर (जिमाका)
शिव छत्रपति क्रीड़ा संकुल में आयोजित राष्ट्रीय बाल विज्ञान प्रदर्शनी में पद्मश्री रमन गंगाखेड़कर ने ‘स्वास्थ्य एवं स्वच्छता’ विषय पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर उन्होंने स्कूली छात्रों को संदेश दिया कि अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उन्हें नशे से दूर रहना चाहिए और स्वच्छता के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए।

श्री गंगाखेडकर ने मानव जीवन में स्वच्छता के महत्व को समझाते हुए दैनिक जीवन में छोटी-छोटी चीजों से स्वच्छता की आदतें कैसे विकसित की जा सकती हैं, इसका उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, कुछ भी खाने से पहले हाथ धोना, रोज सुबह उठने के बाद और शाम को सोने से पहले दांत साफ करना, किसी भी खुली सतह को छूने से बचना स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। बिना हाथ धोए एक ही हाथ से खाना खाने से डायरिया जैसी बीमारियाँ होती हैं।
डॉ. गंगाखेडकर ने कहा कि अस्वच्छता के कारण त्वचा के विभिन्न विकार उत्पन्न हो जाते हैं। साफ-सफाई के साथ-साथ व्यायाम भी सेहत के लिए फायदेमंद है। पैदल चलना सबसे अच्छा व्यायाम है और इसे रोजाना करना चाहिए। किशोरावस्था में कुछ गलत आदतें वयस्क जीवन पर असर डालती हैं। नशे की आदत को छोड़ना कठिन है। इसके अलावा दोस्तों को समय पर ही ना कहना सीखना चाहिए।

IMG-20231228-WA0221-300x200 व्यसन से बचें, स्वच्छता नियमों का पालन करें’ : पद्मश्री डॉ.रमण गंगाखेडकर का संदेश
स्वस्थ जीवन जीने के लिए सकारात्मकता जरूरी है ऐसा बताते हुए उन्होंने कहा, बच्चों को आपस में प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। हर किसी को अपने अंदर की क्षमता को पहचानना चाहिए और उसे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। अपने अंदर सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना सबसे महत्वपूर्ण है। आपको अपना कौशल विकसित करने की आवश्यकता है। इस प्रकार जीवन में छोटी-छोटी बातों में स्वच्छता रखना, समाज के लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करना, देश की स्वास्थ्य नीतियों को निर्धारित करने में योगदान देना, स्वयं और देश के प्रति ईमानदार रहकर देश की सेवा करना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है।

प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग से मानव शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि अब मानव रक्त में प्लास्टिक की मात्रा पाई जा रही है, एक खतरे की घंटी है। इस अवसर पर डॉ. गंगाखेड़कर ने विद्यार्थियों की विभिन्न शंकाओं का समाधान किया।
इस अवसर पर यहां राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के संचालक अमोल येडगे, सहसंचालक रमाकांत काठमोरे, उपसंचालक डॉ. कमलादेवी आवटे, डॉ. नेहा बेलसरे, विज्ञान विभाग की विभाग प्रमुख तेजस्विनी आलवेकर, अधिव्याख्याता वृषाली गायकवाड उपस्थित थे।

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